भारत के परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की मौत का रहस्य क्या है?

WD Feature Desk

बुधवार, 24 जनवरी 2024 (11:21 IST)
homi jehangir bhabha
Mystery of Homi Jahangir Bhabha's death: भारत के परमाणु वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा के नाम से ही भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र है। उन्हें भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। उन्होंने ही भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न तथा वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रसर होने का मार्ग प्रशस्त किया था। उनके निधन को लेकर आज तक अटकलें लगाई जाती हैं। आओ जानते हैं उनके संबंध में संक्षिप्त जानकारी।
 
होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ। उनके पिता जहांगीर भाभा एक जाने-माने वकील थे। साल 1934 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। भाभा ने जर्मनी में कॉस्मिक किरणों का अध्ययन किया और उन पर अनेक प्रयोग भी किए। वर्ष 1933 में डॉक्टरेट कि उपाधि मिलने से पहले भाभा ने अपना रिसर्च पेपर 'द अब्जॉर्वेशन ऑफ कॉस्मिक रेडिएशन' शीर्षक से जमा किया। इसमें उन्होंने कॉस्मिक किरणों की अवशोषक और इलेक्ट्रॉन उत्पन्न करने की क्षमताओं को प्रदर्शित किया। इस शोध पत्र के लिए उन्हें साल 1934 में 'आइजैक न्यूटन स्टूडेंटशिप' भी मिली।
 
डॉ. भाभा अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद साल 1939 में भारत लौट आए। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में उन्होंने कॉस्मिक किरणों की खोज के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की। कॉस्मिक किरणों पर उनकी खोज के चलते उन्हें विशेष ख्याति मिली, और उन्हें साल 1941 में रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुन लिया गया। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए साल 1944 में मात्र 31 साल की उम्र में उन्हें प्रोफेसर बना दिया गया।
 
भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने के मिशन में प्रथम कदम के तौर पर उन्होंने मार्च, 1944 में सर दोराब जे. टाटा ट्रस्ट को मूलभूत भौतिकी पर शोध के लिए संस्थान बनाने का प्रस्ताव रखा। साल 1948 में डॉ. भाभा ने भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की, और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1957 में भारत ने मुंबई के करीब ट्रांबे में पहला परमाणु अनुसंधान केंद्र स्थापित किया। वर्ष 1967 में इसका नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कर दिया गया। साल 1955 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित 'शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग' के पहले सम्मलेन में डॉ. होमी भाभा को सभापति बनाया गया। होमी जहांगीर भाभा शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग के पक्षधर थे। 60 के दशक में विकसित देशों का तर्क था कि परमाणु ऊर्जा संपन्न होने से पहले विकासशील देशों को दूसरे पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। डॉक्टर भाभा ने इसका खंडन किया। भाभा विकास कार्यों में परमाणु ऊर्जा के प्रयोग की वकालत करते थे।
 
होमी जहांगीर भाभा की मौत का रहस्य :-
 
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ :- इस दुर्घटना के पीछे अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए पर तब शक हुआ जबकि वर्ष 2008 में एक पुस्तक 'कन्वरसेशन विद द क्रो' में पूर्व सीआईए अधिकारी रॉबर्ट क्रॉली और पत्रकार ग्रेगरी डगलस के बीच एक कथित बातचीत प्रकाशित हुई थी। क्रॉली को क्रो भी कहा जाता था। इसमें क्रो कहते हैं कि वो (भाभा) भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक हैं और वो परमाणु बम बनाने में पूरी तरह सक्षम थे। भाभा को कई बार सचेत किया गया था लेकिन उन्होंने उस ओर ध्यान नहीं दिया था। वो भारत को परमाणु संपन्न देश बनाना चाहते थे। इसलिए वो हमारे लिए एक खतरा बन गए थे। वो एक हवाई दुर्घटना में मारे गए थे जब उनके बोइंग 707 के कार्गो होल्ड में रखा बम फट गया था। वो वियना के ऊपर जहाज में विस्फोट करना चाहते थे लेकिन फिर ये तय किया गया कि ऊंचे पहाड़ों पर विस्फोट से कम नुक्सान होगा। 
 
साभार : एजेंसियां

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