दुनियाभर में हजारों-लाखों तरह की धारणाएं प्रचलित हैं। हालांकि इनके पीछे का सच कोई नहीं जानता है। ये वैज्ञानिक शोध का विषय हो सकती हैं या इन्हें अंधविश्वास मानकर खारिज किया जा सकता है।
जरूरी नहीं है कि यह विचार सत्य ही हो। इनमें से कुछ समाज में प्रचलित मान्यताओं पर आधारित है, कुछ वैज्ञानिक तथ्य हैं और कुछ सोशल मीडिया में प्रचलित। यहां सिर्फ जानकारी हेतु ही ऐसी बातों को खोजकर पाठकों के लिए प्रस्तुत किया गया है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।
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ऐसा माना जाता है कि यदि आपकी नाक आपको दिखाई देना बंद हो जाए तो समझिए कि मौत निकट ही है या आप किसी गंभीर बीमारी के शिकार हो गए हैं। यह मान्यता भी है कि सीधे खड़े होकर यदि आपको आपके घुटने दिखाई नहीं देते हैं तो आपका शरीर खतरनाक स्थिति में है।
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ऐसी मान्यता है कि टिटहरी जिन दिन वृक्ष पर रहने लगे समझो कि धरती पर भूकंप आने वाला है। टिटहरी कभी भी वृक्ष पर अपना घर नहीं बनाती है। वह भूमि पर ही अंडे देती है और भूमि पर ही रहती है।
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चाहे आप कितनी भी कसरत कर लें या पौष्टिक आहार खा लें, आंखों की रोशनी उम्र के साथ कमजोर होगी ही। जन्म के बाद से हमारे शरीर के अंग बड़े होने तक बढ़ते रहते हैं लेकिन आंखों का आकार एक जैसा ही रहता है। आखों की पलकें दिन में करीब 15,000 बार झपकती हैं। कहते हैं कि आंखें नहीं, दिमाग देखता है।
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कल्पना ज्ञान से महत्वपूर्ण होती है। आप जैसी कल्पना करते हैं, वैसे ही बनते जाते हैं या कि आपका भविष्य भी वैसा ही बनता जाता है। इस सत्य पर कई तरह के शोध हुए और यह 80 प्रतिशत सत्य पाया गया।
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कोई भी उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता जिससे वह डरता है। धार्मिक किताबें अक्सर ईश्वर के प्रति लोगों में भय को बिठाने का ही कार्य करती हैं। सामाजिक बंधन भी भय के कारण ही है। तब यह वचन झूठा है कि 'भय बिन होय न प्रीत गुसांई'
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मूर्ख से विनय और हिंसक या क्रोधी से शांति की बात करना उसी तरह है जिस तरह कि बंजर भूमि में बीज बोना। शांति की बात भी वही लोग करते हैं, जो डरपोक या तथाकथित सहिष्णु होते हैं।
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जिराफ घोड़ों से तेज भाग सकते हैं और ऊंट से ज्यादा दिनों तक पानी के बिना रह सकते हैं। इससे इस धारणा का खंडन होता है कि पशुओं में घोड़े सबसे तेज भागते हैं और ऊंट ज्यादा दिनों तक बिना पानी के रह सकते हैं।
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धरती पर जितना भार सारी चींटियों का है उतना ही सारे मनुष्यों का है और जितने मनुष्य हैं उतने ही मुर्गे भी हैं।
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बहुत सारे अनमोल वचन किसी पुराने विचारकों के थे, लेकिन नए विचारकों या प्रसिद्ध व्यक्तियों ने उन्हें अपना बनाकर अपने नाम से प्रसिद्ध कर दिया। विश्व में अच्छे और बुरे दोनों ही तरह के विचारों की चोरी सबसे ज्यादा होती है।
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आप तब तक एकता स्थापित नहीं कर सकते जब तक कि आप एकता की बातें करते हैं या एकता स्थापित करने के प्रयास करते हैं। एकता विरोधी विचार की अपेक्षा करना या उस तरह के विचार को मिटाना ही एकता स्थापित करने के मार्ग का पहला कदम है और ऐसे विचार किसी धर्मग्रंथ या किसी सामाजिक ग्रंथों में लिखे होते हैं।
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योरप का एक दार्शनिक मानता था कि जब तक आप घर में हैं तभी तक घर में रखी वस्तुओं का अस्तित्व रहता है। आपके ताला लगाकर चले जाने के बाद सभी वस्तुएं एक-दूसरे में घुल-मिलकर गायब हो जाती हैं।
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आपके शरीर से जब कोई बाल (हेयर) टूटकर धरती पर गिरता है तो उसके गिरने की आवाज होती है, जो एक चींटी जैसा प्राणी ही सुन सकता है। आसपास हजारों तरह की ध्वनियां शोर कर रही होती हैं लेकिन मनुष्य उनमें से कुछ को ही सुन पाता है।
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मानव मस्तिष्क 24 घंटे में 60,000 से ज्यादा विचार करता है, 15,000 से ज्यादा बार पलकें झपकाता है। इस दौरान उसकी जुबान हिलती रहती है।
योगानुसार यदि आंखें बंद करके जुबान के हिलने-डुलने को रोककर सांसों पर ध्यान दिया जाए तो विचार भी बंद हो जाते हैं। विचारों के बंद होने के बाद ही व्यक्ति सही ज्ञान को प्राप्त कर सकता है।