प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बीच यहां बहुप्रतीक्षित बातचीत लगभग बेनतीजा रही और मुंबई हमले के अपराधियों को कठघरे में लाने समेत कई अन्य मामलों पर दोनों देश अपने-अपने रुख पर कायम रहे।
लगभग पौन घंटे की इस बातचीत के बाद इसका ब्यौरा देते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं ने यह बात स्वीकार की है कि भारत और पाकिस्तान के जटिल संबंधों को कदम-दर-कदम आगे बढ़ाने का दृष्टिकोण ही सफल हो सकता है।
डॉ. सिंह ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति से कहा कि मुंबई हमले के अपराधियों के खिलाफ चल रही न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी प्रगति होगी। इस पर जरदारी ने कहा कि वह भी कानूनी प्रक्रिया को अंजाम तक ले जाना चाहते हैं, लेकिन इस दिशा में कठिनाइयां हैं।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने डॉ. सिंह को पाकिस्तान आने का न्यौता दिया, जिसे प्रधानमंत्री ने स्वीकार तो कर लिया, लेकिन कहा कि वे उचित अवसर पर पूरी तैयारी के साथ ही पाकिस्तान आएंगे।
सवालों के जवाब में अधिकारियों ने बताया कि दोनों नेताओं ने सप्ताह के बाद होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक को विभिन्न मुद्दों पर आगे बढ़ने का अच्छा अवसर माना। दोनों नेताओं ने आपसी व्यापार बढ़ाने की संभावनाओं पर भी विचार-विमर्श किया।
इस दौरान जरदारी की ओर से यह सुझाव आया कि दोनों देश क्षेत्रीय स्तर पर आपसी व्यापार बढ़ा सकते हैं। डॉ. सिंह ने इस सुझाव का स्वागत किया। डॉ. सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में स्थिरता और शांति कायम रहना भारत ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के हित में है।
प्रधानमंत्री ने गुटनिरपेक्ष सम्मेलन के दौरान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ भी द्विपक्षीय बातचीत की। उन्होंने करजई को इस वर्ष नवंबर में भारत आने का न्यौता दिया और पक्षों के अधिकारियों को इसकी तारीख तय करने के निर्देश दिए।
द्विपक्षीय बैठकों के क्रम में डॉ. सिंह ने सीरिया के प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान ने मुम्बई हमले के मसले में भारत में तीन गवाहों से पूछताछ करने के लिए दूसरी बार अपना न्यायिक आयोग भेजने का आग्रह किया।
यह पूछने पर कि पाकिस्तान ने इस मामले में किन कठिनाइयों का जिक्र किया है, सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी नेता ने अपनी अदालतों में चल रहे मामलों का उल्लेख किया और कुछ प्रक्रियाएं पूरी करने की बात कही। इसी संदर्भ में पाकिस्तानी पक्ष ने अपना न्यायिक आयोग दोबारा भेजने की बात कही।
सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान भारत में एक मजिस्ट्रेट, एक डॉक्टर और अन्य गवाह से पूछताछ करना चाहता है। सवालों के जवाब में अधिकारियों ने कहा कि कसाब की फांसी बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र बातचीत में नहीं आया। (वार्ता)