पश्चिम को योग और आध्यात्म से परिचित कराने वाले महर्षि महेश योगी का मंगलवार को करीब 7 बजे नीदरलैंड (हॉलैंड) के शहर व्लोड्राप स्थित आवास में निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे।
महर्षि महेश योगी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से फिजिक्स में डिग्री ली थी। बाद में वह योग और साधना के लिए हिमालय की तराइयों में चले गए। 11 जनवरी 2008 को उन्होंने सामान्य जीवन से संन्यास ले लिया था।
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उनका कहना था कि गुरूदेव द्वारा प्रदत्त समस्त कर्तव्य मैंने पूर्ण कर दिए हैं। अब मेरा कार्य समाप्त हो चुका है। इसके बाद उन्होंने अपना सारा समय वेदों के अध्ययन और अनुसंधान में बिताया। ऐसा लगता है कि उन्हें अपनी संभावित मृत्यु का आभास हो चुका था।
महर्षि का पार्थिव शरीर 9 फरवरी को भारत लाया जाएगा और 12 फरवरी को इलाहाबाद के संगम घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
प्रसिद्ध संगीत बैण्ड बीटल्स के गुरु रहे योगी गत माह अपने संस्थान के अध्यक्ष पद से यह कहते हुए हट गए थे कि वह निशब्दता के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं। उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी से लेकर आध्यात्मिक गुरू दीपक चोपड़ा तक शामिल रहे।
महर्षि योगी ने 1955 में योग की शिक्षा ली। बाद में ज्योर्तिमठ के 'शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती' ने महेश वर्मा को बाल ब्रह्मचारी की उपाधि देकर उन्हें महर्षि महेश योगी का नाम दे दिया।
महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी। 1958 में महर्षि महेश योगी अमेरिका चले गए और 1967 तक योग साधना के जरिए शोध करते रहे।
उनकी साधना को अमेरिकी साइंस और साइंटिफिक संस्थान ने भी स्वीकार किया। यानी मेडिकल साइंस ने भी उनकी योगिक क्रियाओं को पूरी तरह से मान्यता दी थी।
अमेरिका के बाद महर्षि महेश योगी नीदरलैंड चले गए और यहीं पर बस गए। उन्होंने अमेरिका और नीदरलैंड में 'राम नाम' से मुद्रा का प्रचार किया। अमेरिका के 35 राज्यों में आज भी उनका राम ब्रांड काफी प्रचलन में है।
महर्षि महेश योगी के देश विशेष में अनेक संस्थान हैं। उनके निधन पर ख्यात योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि भारतीय संस्कृति के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने ब्रह्म निर्वाण, भारतीय संस्कृति और योग को पूरे विश्व पटल पर फैलाया।