वकीलों की माँग, कसाब को पाक लाया जाए

सोमवार, 23 नवंबर 2009 (20:18 IST)
मुंबई हमलों में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार सात संदिग्धों का मुकदमा लड़ रहे वकीलों ने माँग की कि भारत में हमलों के दौरान गिरफ्त में आए एकमात्र आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को पाकिस्तान लाया जाना चाहिए ताकि अन्य आरोपियों के साथ ही उस पर भी मुकदमा चलाया जा सके।

लश्करे तैयबा के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी सहित सात आरोपियों के मुकदमे की रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली आदियाला जेल में सुनवाई के दौरान वकीलों ने यह माँग की।

उन्होंने कहा कि चूँकि कसाब जीवित बचा एकमात्र हमलावर है और पाकिस्तानी प्रशासन ने उनके मुवक्किलों के खिलाफ भारतीय अधिकारियों को दिए कसाब के इकबालिया बयान के आधार पर मामला बनाया है, लिहाजा उसे सुनवाई के लिए पाकिस्तान लाया जाना चाहिए।

आतंकवाद निरोधी अदालत के जज मलिक मोहम्मद अकरम एवान ने बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई 25 नवंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी।

जज की बचाव पक्ष के वकीलों की माँग पर अगली सुनवाई के दौरान फैसला देने की संभावना है। लखवी का बचाव कर रहे वकील ख्वाजा सुल्तान ने कहा कि उन्होंने आरोपी के खिलाफ पेश सबूतों पर आपत्ति जताई और कसाब के इकबालिया बयान पर विस्तार से जिरह की जो अभियोजन के मामले का अहम हिस्सा है।

सुल्तान ने कहा कि कसाब के बयान को क्या महत्व दिया जाए, जबकि वह खुद इससे पलट चुका है। बयान दर्ज करने वाले भारतीय मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी पाकिस्तान में नहीं हैं, लिहाजा उनसे जिरह नहीं की जा सकती। तो पाकिस्तान में उस बयान का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष के मामले की सभी जानकारी उस बयान से है और मुंबई घटना के अन्य हमलावर मारे जा चुके हैं। लिहाजा हमने कहा कि पाकिस्तान सरकार को भारत सरकार से कसाब को सौंपने को कहना चाहिए ताकि उस पर बतौर सह-आरोपी मुकदमा चलाया जा सके।

बचाव पक्ष के वकीलों ने यह भी दावा किया कि उसके मुवक्किलों के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने मुंबई हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़े होने की संघीय जाँच एजेंसी की तफ्तीश पर भी सवाल उठाए। आतंकवाद निरोधी अदालत को अब भी सात आरोपियों को औपचारिक तौर पर अभ्यारोपित करना है।

इससे पहले सुनवाई कर रहे जज बाकीर अली राणा ने शुरुआती चरण में ही आरोपियों को अभ्यारोपित करना चाहा था लेकिन आरोपियों ने दोष स्वीकार करने या नहीं स्वीकारने से इनकार कर दिया क्योंकि उस समय उनके वकील वहाँ मौजूद नहीं थे। (भाषा)

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