77 फीसदी भारतीय बच्चियां यौन व शारीरिक हिंसा की शिकार

शुक्रवार, 5 सितम्बर 2014 (16:44 IST)
कैसे बचेगी बेटियां, जब अपने ही ढ़ा रहे हैं उन पर सितम?  
जहां एक ओर भारत में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई जा रही हैं और इससे निपटने के लिए कई कानून बनाए जा रहे हैं वहीं संयुक्त राष्ट्र के यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 15 से 19 साल की उम्र के बीच की लगभग 77 फीसदी लड़कियां यौन हिंसा का शिकार बनी हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस उम्र समूह की आधी से ज्यादा लड़कियों ने अपने माता-पिता के हाथों शारीरिक प्रताड़ना को भी झेला है।


यूनिसेफ की रिपोर्ट "हिडन इन प्लेन साइट" के अनुसार भारत में बच्चों के खिलाफ हिंसा का प्रचलन इतना अधिक है और यह समाज में इतनी गहराई तक समाई हुई है कि इसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है और एक सामान्य बात मानकर स्वीकार कर लिया जाता है।
 
रिपोर्ट में कहा गया कि 15 साल से 19 साल तक की उम्र वाली 77 प्रतिशत लड़कियां कम से कम एक बार अपने पति या साथी के द्वारा यौन संबंध बनाने या अन्य किसी यौन क्रिया में जबरदस्ती का शिकार हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में साथी द्वारा की जाने वाली यौन हिंसा भी व्यापक तौर पर फैली है। वहां शादीशुदा या किसी के साथ संबंध में चल रही पांच में से कम से कम एक लड़की अपने साथी द्वारा हिंसा की शिकार हुई है।
 
इस क्षेत्र में साथी द्वारा की जाने वाली हिंसा बांग्लादेश और भारत में खासतौर पर ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 15 साल से 19 साल की उम्र वाली 34 प्रतिशत विवाहित लड़कियां ऐसी हैं, जिन्होंने अपने पति या साथी के हाथों शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा झेली है।
 
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में 15 साल से 19 साल की उम्र वाली लगभग 21 प्रतिशत लड़कियों ने 15 साल की उम्र से शारीरिक हिंसा झेली है। इसमें कहा गया कि यह हिंसा करने वाला व्यक्ति पीडिता की वैवाहिक स्थिति के अनुसार, अलग-अलग हो सकता है।
 
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इसमें कहा गया कि इस बात में कोई हैरानी नहीं है कि कभी न कभी शादीशुदा रही जिन लड़कियों ने 15 साल की उम्र के बाद से शारीरिक हिंसा झेली है, इन मामलों में उनके साथ हिंसा करने वाले मौजूदा या पूर्व साथी ही थे। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया कि जिन लड़कियों की शादी नहीं हुई, उनके साथ शारीरिक हिंसा करने वालों में पारिवारिक सदस्य, दोस्त, जान पहचान के व्यक्ति और शिक्षक थे।
 
इस तरह के मामलों में अजरबेजान, कंबोडिया, हैती, भारत, लाइबेरिया, साओ टोम एंड प्रिंसिप और तिमोर लेस्ते में आधी से अधिक अविवाहित लड़कियों ने जिस व्यक्ति पर इसका दोष लगाया गया, वह पीडिता की मां या सौतेली मां थी। भारत में 15 साल से 19 साल के उम्र समूह की 41 प्रतिशत लड़कियों ने 15 साल की उम्र से अपनी मां या सौतेली मां के हाथों शारीरिक हिंसा झेली है जबकि 18 प्रतिशत ने अपने पिता या सौतेले पिता के हाथों शारीरिक हिंसा झेली है।
 
चिंताजनक है कि वर्ष 2012 के कम उम्र के मानव हत्या मामलों की संख्या के आधार पर भारत तीसरे स्थान पर है। वर्ष 2012 में 0 से 19 साल के उम्रसमूह के लगभग 9400 बच्चे और किशोर मारे गए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 15 साल से 19 साल के उम्र समूह की लगभग 41 से 60 प्रतिशत लड़कियां मानती हैं कि यदि पति या साथी कुछ स्थितियों में अपनी पत्नी या साथी को मारता-पीटता है तो यह सही है।
 
190 देशों से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में पाया गया कि दुनिया भर के लगभग दो तिहाई बच्चे या 2 साल से 14 साल के उम्रसमूह के लगभग एक अरब बच्चे उनकी देखभाल करने वाले लोगों के हाथों नियमित रूप से शारीरिक दंड पाते रहे हैं।

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