पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मां जहांगीर चल बसीं

Webdunia
रविवार, 11 फ़रवरी 2018 (19:23 IST)
लाहौर। पाकिस्तान की प्रख्यात मानवाधिकार वकील और सामाजिक कार्यकर्ता तथा देश के सशक्त सैन्य प्रतिष्ठान की मुखर आलोचक अस्मां जहांगीर का आज यहां दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनकी बेटी ने यह जानकारी। अपने मुखर स्वभाव एवं मानवाधिकार के लिए जज्बे को लेकर चर्चित अस्मां (66) पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं।


उनकी बेटी मुनीजे जहांगीर ने ट्वीट किया, ‘मां अस्मां जहांगीर के गुजर जाने से मैं बिल्कुल टूट गई हूं। हम शीघ्र ही अंतिम संस्कार की तारीख की घोषणा करेंगे। हम अपने रिश्तेदारों का लाहौर आने का इंतजार कर रहे हैं।' वरिष्ठ वकील अदील राजा ने कहा, ‘आज अस्मां को दिल का दौरा पड़ा और उन्हें लाहौर के हामिद लतीफ अस्पताल के जाया गया। अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।’

उनके निधन की खबर फैलते ही वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं की ओर से शोक संदेश आने लगे और उन्होंने इसे पाकिस्तान के लिए इसे बहुत बड़ी क्षति करार दिया। अपने शोक संदेश में राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने उनके निधन पर यह कहते हुए शोक प्रकट किया कि उन्होंने कानून के शासन के लिए प्रत्याशित सेवा प्रदान की।
 
स्थानीय मीडिया के अनुसार प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने एक बयान में कहा, ‘आज देश साहसी एवं अनुशासनप्रिय इंसान खो बैठा जो नि:शब्दों की आवाज थीं।’ नवाज शरीफ की बेटी ने कहा, ‘अस्मां जहांगीर के निधन से स्तब्ध एवं मायूस हूं। यह अपूरणीय क्षति है।’

पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश मियां साकिब निसार, अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने अस्मां के निधन को असाध्य क्षति करार दिया है। विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि उनके निधन से पाकिस्तान निर्धन हो गया है। पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट किया है। उनके परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। उनकी बेटी मुनीजे जहांगीर टीवी एंकर हैं।

जनवरी, 1952 में लाहौर में पैदा हुईं अस्मा ने ह्यूमन राइट्स ऑफ पाकिस्तान की सह स्थापना की और उसकी अध्यक्षता भी संभाली। वह सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रहीं। वर्ष 1978 में पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की।

वह लोकतंत्र की पुरजोर समर्थक बनीं और उन्हें पाकिस्तान में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे जियाउल हक के सैन्य शासन के खिलाफ मूवमेंट फोर रिस्टोरेशन ऑफ डेमोक्रेसी में भाग लेने को लेकर 1983 में जेल में डाल दिया गया। वह 1986 में जिनेवा गईं थी और वहां वह डिफेंस फोर चिल्ड्रेन इंटरनेशनल की उपाध्यक्ष बनीं। वह 1988 में पाकिस्तान लौट आईं। उन्होंने इफ्तिकार चौधरी को पाकिस्तान का प्रधान न्यायाधीश बहाल करने के लिए प्रसिद्ध वकील आंदोलन में सक्रिय हिस्सेदारी की।

उन्होंने निरंतर पाकिस्तान में ‘लापता व्यक्तियों’ का मुद्दा उठाया। वह न्यायिक सक्रियता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की आलोचक थीं तथा उन्होंने पिछले साल नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री के पद के लिए अयोग्य ठहराने के लिए शीर्ष अदालत की आलोचना की थी। उन्हें 'राइट लाइवलीहुड पुरस्कार', 'फ्रीडम पुरस्कार', 'हिलाल ए इम्तियाज' और 'सितारा ए इम्तियाज पुरस्कार' मिला था। अस्मां को 2007 में तत्कालीन सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ की सरकार ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने 2012 में दावा किया था कि शीर्ष खुफिया एजेंसी आईएसआई से उनकी जान को खतरा है। (भाषा)

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