पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के जाल (हनीट्रैप) में उलझे वायुसेना के एक अधिकारी का मामला सुर्खियों में बना हुआ। दरअसल, अरुण मारवाह नामक वायुसेना के ग्रुप कैप्टन को लड़कियों के नाम से फांस लिया। आरोप है कि वे इस जाल में उलझकर कई गुप्त सूचनाएं भी अपनी 'बेवकूफी' के चलते पाकिस्तान को दे बैठे।
जब वायुसेना का एक वरिष्ठ अधिकारी इस जाल में फंस सकता है तो आम आदमी की तो बिसात ही क्या है। चाहे जासूसी का मामला हो या फिर फोन, इंटरनेट, ईमेल आदि पर ठगी का मामला हो, आदमी जब तक समझता है तब तक वह इस तरह के गिरोहों का शिकार हो जाता है। इस तरह की घटनाओं से सावधानी से ही बचा जा सकता है। आखिर किस तरह छोटी सी लापरवाही बड़ी मुसीबत का कारण बन सकती है, आइए जानते हैं...
दरअसल, इससे यह भी साबित हो जाता है कि यह नंबर आपके ही पास है। फिर जरूरी नहीं कि संबंधित नंबर की सिम आपके फोन में लगी हो। यदि सिम दूसरे फोन में भी हो तो भी संबंधित फोन पर व्हाट्सऐप चलता रहेगा। भारतीय वायुसेना के अधिकारी को भी कुछ इसी तरह जाल में फंसाया गया।
सावधान रहें : इस तरह की वारदातों से आप सतर्कता से ही बच सकते हैं। यदि आपसे कोई ओटीपी मांगे तो आप भूलकर भी न दें, साथ ही ऐसी कोई जानकारी जो आपके लिए गुप्त (बैंक अकाउंट नंबर, डेबिट कार्ड नंबर, पासवर्ड आदि) हो सकती है, कतई न दें। यदि आप सावधानी बरतेंगे तो आप न तो किसी जासूसी गिरोह का शिकार बनेंगे, न ही ठग गिरोह का।