योग लाता है संतुष्टि : बान की मून

मंगलवार, 16 जून 2015 (11:44 IST)
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इस बात पर  जोर दिया है कि योग भेदभाव नहीं करता है। उन्होंने कहा कि जब अपनी भारत यात्रा के दौरान  उन्होंने अपना पहला ‘आसन’ करने की कोशिश की तो इससे उन्हें एक ‘संतुष्टि’ की अनुभूति हुई। 
आगामी 21 जून को मनाए जाने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अपने संदेश में बान ने याद करते हुए कहा कि जब उन्होंने जनवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में  योग करने की कोशिश की तो उन्हें अपना संतुलन स्थापित करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन जल्दी  ही उन्हें यह अहसास हुआ कि ऐसा कोई भी कर सकता है।
 
संरा प्रमुख ने अपने संदेश में कहा कि और योग भेदभाव नहीं करता। अलग-अलग स्तरों पर सभी लोग इसका अभ्यास कर सकते हैं, फिर चाहे उनकी क्षमता, उम्र या योग्यता कितनी भी हो। अपना पहला आसन करने के दौरान मैंने पाया कि वृक्षासन शुरूआती योगाभ्यास करने वालों के लिए उपयुक्त है।
 
 
संतुलन हासिल करने में मुझे कुछ समय लगा लेकिन एक बार संतुलन स्थापित हो जाने के बाद मुझे  योग के कारण संतुष्टि का अहसास हुआ। मुझे यह अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि उनकी भारत यात्रा  के दौरान उन्हें अपने एक वरिष्ठ सलाहाकार के साथ योगाभ्यास करने का मौका मिला।
 
म्यांमार पर बान के सलाहाकार और वरिष्ठ भारतीय राजनयिक विजय नांबियार ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख  को उनके पहले योगाभ्यास का पाठ पढ़ाया था। यह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी के लिए था। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने नांबियार के साथ अपने पहले योगासन का अभ्यास कर रहे बान की  तस्वीर भी ट्वीट की थी। 
 
इस तस्वीर में मुस्कुराते हुए बान जूते उतारकर एक टांग पर खड़े हैं। उनके हाथ उनके सिर से ऊपर उठे हुए हैं और दूसरी टांग उन्होंने घुटने तक मोड़ी हुई है। नांबियार भी इसी  आसन में खड़े हैं। बान ने कहा ‍कि हालांकि वह उस देश का बेटा है, मैंने भी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले कई सहकर्मियों के साथ इसे लगभग समान तरीके से ही किया। योग एक प्राचीन विधा है, जिसका अभ्यास हर क्षेत्र के अभ्यासकर्ताओं द्वारा किया जाता है। 
 
उन्होंने कहा कि योग शारीरिक एवं आध्यात्मिक सेहत और तंदुरुस्ती के लिए एक ‘सरल, सुलभ और समावेशी’ साधन उपलब्ध करवाता है। बान ने कहा कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में प्रमाणित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ‘इस शाश्वत अभ्यास के लाभों और संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों एवं मूल्यों के साथ इसके निहित तालमेल’’ को मान्यता दी है।
 
उन्होंने कहा ‍कि योग शारीरिक एवं आध्यात्मिक सेहत और तंदुरुस्ती के लिए एक सरल, सुलभ और  समावेशी साधन उपलब्ध करवाता है। यह साथी इंसानों और हमारे इस ग्रह के प्रति सम्मान को बढ़ावा  देता है। विश्व जहां पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन के लिए तैयार है, वहीं बान ने देशों से अपील  की है कि वे ‘इस अभ्यास से होने वाले लाभों को व्यक्तिगत तंदुरुस्ती के साथ-साथ जन स्वास्थ्य में  सुधार लाने, शांतिपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने और सभी के लिए सम्मानजनक जीवन में प्रवेश के रूप  में देखें।
 
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मस्तिष्क की उपज है। उन्होंने पिछले साल सितंबर में महासभा में अपना पहला संबोधन देते हुए इस विचार को व्यक्त किया था। 193 सदस्यीय महासभा ने रिकॉर्ड समय में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था और दिसंबर में  यह घोषणा कर दी थी कि 21 जून को हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाएगा।  

भारत के नेतृत्व वाले इस प्रस्ताव का रिकॉर्ड 177 देशों ने समर्थन किया। इस दिन को यादगार बनाने के लिए अमेरिका भर में बड़े स्तर पर तैयारी चल रही है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र और टाइम्स स्कवायर पर आयोजनों की अध्यक्षता कर सकती हैं।  (भाषा) 

वेबदुनिया पर पढ़ें