अध्ययन से पता चला है कि इस बात के स्पष्ट साक्ष्य है कि जब नर चूहे इस तरह के विकिरण के उच्च स्तर के संपर्क में आते हैं, जैसे सेलफोन में होता है, तो उनमें हृदय से जुड़ी कैंसरयुक्त रसौली विकसित हो जाती है।
रिपोर्ट के बाद कुछ गैरसरकारी संगठनों और वैज्ञानिकों का प्रस्ताव है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की इंटर एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) को आरएफआर के वर्गीकरण को मौजूदा समूह 2बी (संभावित मानव कैंसरजन) से समूह 1 (मानव कैंसरजन) में उन्नयन करना होगा। लेकिन विशेषज्ञ एजेंसियों ने जोर देकर कहा है कि यह खोज मनुष्यों पर लागू नहीं होती है।
गैरआयनीकरण विकिरण संरक्षण (आईसीएनआईआरपी) पर अंतरराष्ट्रीय आयोग ने स्पष्ट रूप से इस अध्ययन की जानकारी देते हुए एक नोट प्रकाशित किया है कि यह अध्ययन वर्तमान में आरएफआर के लिए मौजूदा सुरक्षा दिशा-निर्देशों को बदलने के लिए कोई कार्रवाई योग्य आगत प्रदान नहीं करता है। आईसीएनआईआरपी की अनुशंसाएं डब्ल्यूएचओ जैसी संस्थाएं और कई देश स्वीकार करते हैं।