कराची। 'पापा, मुझे गोली लग गई है', 15 बरस के हुसैन के आखिरी अल्फाज थे जिसे चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भारत पर पाकिस्तान की जीत के बाद उन्मादी जश्न में हुई गोलीबारी में गोली लग गई। जो कि हुसैन की जिंदगी ले गई। यह अकेली ऐसी घटना नहीं है, बल्कि देश के कई हिस्सों में इस तरह की घटनाओं में लोगों के घायल होने की खबरें हैं।
जिस समय पूरा पाकिस्तान जीत के खुमार में डूबा था, सैयद हुसैन रजा जैदी यहां जिन्ना पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सेंटर में जिंदगी के लिए जूझ रहा था। सैयद काजिम रजा जैदी के परिवार के लिए जीत का जश्न मातम में बदल गया, क्योंकि जश्न के उन्माद में चली गोली उनके बड़े बेटे हुसैन की जिंदगी ले गई।
हुसैन उस समय अपने मकान की बालकनी में खड़ा होकर आतिशबाजी देख रहा था। उसने अपने वालिद से कहा, पापा कुछ लोग पाकिस्तान के चैंपियन बनने पर गोलियां चला रहे हैं। काजिम ने अपने बेटे को भीतर आने को कहा और जैसे ही हुसैन भीतर आया, वह चीखते हुए बोला, पापा, मुझे गोली लग गई। हुसैन के चाचा सैयद हसन रजा जैदी ने कहा कि यह उसके आखिरी शब्द थे। हुसैन के माता-पिता उसे लेकर जेपीएमसी गए लेकिन तब तक बहुत खून बह चुका था। उसने रात दो बजे आखिरी सांस ली। (वार्ता)