वांग ने कहा, 'हम शिखर सम्मेलन में वार्ता में शामिल होने के लिए भारतीय प्रतिनिधि और भारतीय व्यापारिक एवं वित्तीय समुदाय के सदस्यों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में 28 राष्ट्रपतियों एवं प्रधानमंत्रियों के भाग लेने की संभावना है।'
वांग ने कहा, 'ओबीओआर सभी प्रतिभागियों के साझा विकास के लिए है इसलिए हम ओबीओआर के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भारत का स्वागत करते हैं। 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का मकसद आर्थिक है।' इसका मकसद आर्थिक सहयोग एवं विकास है।
चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि जहां तक कश्मीर विवाद की बात है, चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। इसके अलावा सीपीईसी का निश्चित क्षेत्रों में विवाद से कोई संबंध नहीं है। मैं भारतीय मित्र को इस बात की पुन: पुष्टि करना चाहता हूं कि यदि भारत ओबीओआर में शामिल होना चाहता है तो ऐसा करने के कई माध्यम एवं तरीके हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने बांग्लादेश, चीन, भारत, म्यांमा में भारत की भागीदारी पर ध्यान दिया है।
वांग ने कहा, 'हमने इस संबंध में भारत के सकारात्मक रख पर ध्यान दिया है। भारत ने ओबीओआर पर आपत्तियां जताई हैं क्योंकि सीपीईसी इसका हिस्सा है और यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। (भाषा)