कराची। प्रमुख अंग्रेजी दैनिक द हिंदू के पाकिस्तान स्थित संवाददाता मुबाशिर जैदी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग चाहते हैं कि जमात उद दावा और लश्कर ए तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद को किसी पश्चिम एशियाई देश में भेज दिया जाए ताकि पाकिस्तान पर आतंकवाद को लेकर पड़ने वाले दबाव को फिलहाल कम किया जा सके। विदित हो कि यह बात चीनी राष्ट्रपति ने पिछले माह बोआओ फोरम में पाक प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी से कही।
जानकार सूत्रों को सईद को इसका भरोसा नहीं हुआ कि शी ने यह बात अब्बासी से कही है। 'चीन में फोरम के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और शी के बीच करीब 35 मिनट तक बातचीत हुई थी जिसमें सईद मामले से निपटने की रणनीति पर विचार किया गया था। शी का मानना है कि सईद को सुर्खियों से दूर रखने के लिए उसे पश्चिम एशिया के किसी देश में भेज दिया जाए। कहा जाता है कि अब्बासी ने इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए अपने कानूनी सलाहकार से विचार विमर्श किया है
सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को कराची में इफ्तार के बाद सईद ने कुछ पत्रकारों से बात की लेकिन सईद को इस बात पर भरोसा नहीं हुआ कि चीन भी उस पर प्रतिबंध लगाने या किसी दूसरे देश में भेजे के पक्ष में है। लेकिन उसने माना कि सुपर पॉवर चीन, पाकिस्तान पर इस तरह का दबाव डालने में समर्थ है। पर सईद ने इस बात से इनकार किया कि जमात उद दावा के भविष्य को लेकर कोई सरकारी अधिकारी उससे हाल के सप्ताहों में मिला है।
पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल सईद को करीब नौ महीनों तक नजरबंद करके रखा था लेकिन लाहौर हाई कोर्ट के फैसले के बाद सरकार को उसे रिहा करना पड़ा था। इस वर्ष की शुरुआत में जमात को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल दिया गया था। कहा जाता है कि जमात को इंडोनेशिया से आर्थिक मदद मिलती थी और यह जानकार इंडोनेशिया ने इस आशय की जानकारी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को दी थी।
इसके बाद ही पाकिस्तान को उन देशों की सूची में डाल दिया गया था जो कि आतंकवादियों की मदद करते हैं। पाकिस्तानी राष्ट्रपति के एक अध्यादेश जारी करने के बाद संघीय सरकार ने जमात की सारी चल, अचल सम्पत्तियों को फ्रीज कर दिया था। लेकिन पाक गृह मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि जमात और इसकी धर्मार्थ संस्था, फलक ए इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) पर जारी किए गए इस आदेश को रोक दिया गया था।