अध्ययन के अनुसार कोयले के अधिक इस्तेमाल से भविष्य में जलवायु पर स्थानीय एवं वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ेंगे। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि जलवायु परिवर्तन कितना होता है, यह आने वाले वर्षों एवं दशकों में एशिया के ऊर्जा संसाधनों के चयन पर निर्भर करेगा।
एमआईटी के बेंजामिन ग्रेंडे ने कहा कि अत्यधिक उत्सर्जन के परिदृश्य में हम एशिया, विशेषकर पूर्वी एशिया (चीन समेत) और दक्षिण एशिया (भारत समेत) में बारिश में कमी देखते हैं। ग्रैंडे ने कहा कि खासकर उन इलाकों में बारिश में कमी देखने को मिली है, जो पहले ही जल संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं।