उनकी इस टिप्पणी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा हो गया। बहरहाल, ट्रंप ने इससे इनकार किया कि उन्होंने अपमानजनक टिप्पणी की है, हालांकि उन्होंने यह माना कि उनकी तरफ से कड़ी भाषा का इस्तेमाल हुआ है।
खबरों के मुताबिक, ट्रंप ने कल सीनेटरों और कांग्रेस के सदस्यों से मुलाकात की और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मदद करने वाले कुछ एशियाई देशों से प्रवासियों की वकालत की। कई मीडिया रिपोर्ट में ट्रंप के हवाले से कहा गया, हमारे यहां मलिन देशों के ये सभी लोग क्यों हैं?
राष्ट्रपति ने अफ्रीकी देशों और हैती का जिक्र करते हुए यह बात की और सुझाव दिया कि अमेरिका को नार्वे जैसे स्थानों के प्रवासियों का स्वागत करना चाहिए। नार्वे के प्रधानमंत्री ने गत बुधवार को ट्रंप से मुलाकात की थी। ट्रंप के इस बयान की डेमोक्रेटिक सांसदों ने निंदा की है। इस संबंध में सबसे पहले खबर ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने दी थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के अनुसार, ट्रंप ने यह भी कहा कि वह एशियाई देशों के प्रवासियों का अधिक खुले दिल से स्वागत करेंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि वे आर्थिक रूप से अमेरिका की मदद करते हैं। उल्लेखनीय है कि ट्रंप योग्यता के आधार पर आव्रजन की वकालत करते रहे हैं जिससे भारत जैसे देशों को सर्वाधिक लाभ हो सकता है।
ट्रंप के बयान का जिक्र करते हुए व्हाइट हाउस के प्रधान उप प्रेस सचिव राज शाह ने कहा, अमेरिका के कुछ नेताओं ने विदेशी देशों के लिए लड़ना चुना लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा अमेरिकी लोगों के लिए लड़ेंगे। इस बीच, हाउस डेमोक्रेटिक व्हिप स्टेनी एच होयर ने ट्रंप के बयान की निंदा करते हुए इसे नस्ली एवं अपमानजनक बताया। डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद लुइस गुतीरेज और कांग्रेस की सदस्य इलियाना रोस-लेतिनेन ने भी ट्रंप के इस बयान की कड़ी आलोचना की। (भाषा)