वर्ष 1832 में नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री भीमसेन थापा ने यह मीनार बनवाई थी जिसे वर्ष 1934 में 8.3 तीव्रता के नेपाल के इतिहास के सबसे भयंकर भूकंप से भी बहुत नुकसान हुआ था। इसे बाद में फिर से बनाया गया और लोगों के लिए खोला गया लेकिन इस बार यह मीनार भूकंप के झटके का सामना नहीं कर पाई और पूरी तरह से धराशायी हो गई।
काठमांडू के ‘हिमालयन टाइम्स’ की पूर्व पत्रकार लक्ष्मी महारजन ने कहा कि दरबार स्क्वायर, पैलेस और धरहरा टावर ये हमारे प्रतीक थे, ये नेपाल और इसकी संस्कृति तथा सुंदरता के प्रतीक थे और अब यह सबकुछ जा चुका है। स्मारक नष्ट होने की क्षति ने लोगों के मारे जाने को सहना और मुश्किल बना दिया है। (भाषा)