Father raped for 24 years in Austria: हम समझते हैं कि दुनिया की सारी बुराइयां भारत में ही मिलती हैं। यूरोप-अमेरिका के सुसंपन्न और सुसभ्य देशों में वैसी नीचताएं नहीं देखने में आती होंगी, जैसी और जितनी भारत में हुआ करती हैं। सच्चाई यह है कि भारत का आत्ममुग्ध स्वतंत्र मीडिया बताए या नहीं, यूरोप-अमेरिका में भी आयेदिन ऐसी-ऐसी वीभत्स घटनाएं होती हैं, जिनका कई बार शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।
कौन विश्वास करेगा कि केवल 81 लाख की जनसंख्या वाले यूरोप के एक सबसे सुरम्य और खुशहाल देश ऑस्ट्रिया में, 88 साल का एक ऐसा भी बाप है, जो अपनी ही बेटी से 24 वर्षों तक बलात्कार करता रहा, 7 नए बच्चे पैदा किए और अब 15 वर्षों से जेल में है।
बाप बना बेटी का बलात्कारी : जर्मनी और इटली के बीच आल्प्स पर्वतों की गोद में बसा ऑस्ट्रिया, स्विट्ज़रलैंड से कुछ कम मनोहारी नहीं है। ऑस्ट्रिया भी एक जर्मनवंशी और जर्मन भाषी देश है। जर्मन तानाशाह हिटलर, ऑस्ट्रिया में ही जन्मा और पला-बढ़ा था। जिस तरह हिटलर मानव से दानव बन गया था, कुछ उसी प्रकार ऑस्ट्रिया का योज़ेफ फ्रित्सल भी अपनी बेटी के लिए एक बाप से कामांध बलात्कारी बन गया। मार्च 2009 में उसे आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।
एक कुशल बिजलीसाज़ (इलेक्ट्रीशियन) रहे फ्रित्सल पर कई आरोप लगाए गए थे– बेटी के साथ बार-बार बलात्कार, घर में नज़बंदी, ज़ोर-ज़बर्दस्ती, ग़ुलामी करवाना, कौटुंबिक व्यभिचार (इनसेस्ट) और इरादतन मौत होने देना। उसे सभी आरोपों का दोषी पाया गया। सज़ा के 15 साल हो जाने पर इस साल जनवरी के अंत में फ्रित्सल के मामले की एक नई सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि वह अभी जेल में ही रहेगा और हर तीन महीने पर उसका मानसिक उपचार होगा।
बेटी को तहख़ाने में क़ैदी बना दिया : योज़ेफ फ्रित्सल ऑस्ट्रिया के एक छोटे-से शहर अमश्टेटन का निवासी है। 1984 में उसकी बेटी जब 18 साल की हो गई थी, तब उसने उसे अपने घर के तहख़ाने में क़ैदी बना दिया। तहख़ाने को 60 वर्गमीटर बड़ी एक ऐसी जेल में बदल दिया था, जिसमें न तो कोई बाहरी आवाज़ सुनाई पड़ सकती थी और न कोई भीतरी आवाज़ बाहर जा सकती थी।
पांच-पांच सौ किलो भारी आठ ऐसे दरवाजों द्वरा तहख़ाने की क़िलेबंदी कर दी, जिन्हें रिमोट-कंट्रोल (दूरनियंत्रण) द्वारा चलाया जा सकता था। इसके बाद 24 वर्षों तक अपनी बेटी के साथ बलात्कार करता रहा– 10-20 या सैकड़ों नहीं, हज़ारों बार! इन बलात्कारों से 7 बच्चे पैदा हुए। उनमें से एक की मृत्यु भी हो गई, क्योंकि समय रहते उसकी जान बचाने का कोई प्रयास नहीं हुआ।
घर में पत्नी और दूसरे बच्चे भी थे : ऐसा भी नहीं था कि योज़ेफ फ्रित्सल घर में अकेला था या उसकी कोई पत्नी नहीं थी। उसकी पत्नी उसके अन्य बच्चों के साथ उसी घर की पहली मंजिल पर रहती थी। पर दावा यही किया जाता है कि उसकी पत्नी, परिवार के अन्य सदस्यों या पड़ोसियों को रत्ती भर भी पता नहीं था कि तहख़ाने में क्या कुकर्म हो रहा है। अपनी पत्नी और पड़ोसियों से उसने कह रखा था कि उसकी बेटी किसी सेक्ट (धार्मिक पंथ) के चक्कर में पड़ गई है और कहीं और चली गई है।
इस कुचक्र का अनपेक्षित भंडफोड़ 26 अप्रैल, 2008 को हुआ। उस दिन फ्रित्सल के कुकर्मों से तहख़ाने में ही पैदा हुई 19 साल की उसकी एक बेटी वहां इस बुरी तरह बीमार हो गई कि उसकी जान बचाने के लिए फ्रित्सल को उसे अस्पताल ले जाना पड़ा।
डॉक्टर ने पुलिस को ख़बर दी : अस्पताल में जिस डॉक्टर ने फ्रित्सल की इस बेटी को देखा-परखा, उसे शक हुआ कि दाल में कुछ काला है। डॉक्टर ने पुलिस को ख़बर दी। पुलिस ने फ्रित्सल को गिरफ्तार कर लिया। बाद में मुकदमा चला और फ्रित्सल को जेल की ऐसी लंबी सज़ा मिली कि वह उसे आज तक भुगत रहा है।
जेल में रहने के दौरान योज़ेफ फ्रित्सल ने अपने कुलनाम 'फ्रित्सल' को हटाकर एक नया नाम अपना लिया, ताकि उसकी आसानी से पहचान न हो सके। जेल के अधिकारियों से अभी कुछ ही महीने पहले कहने लगा कि वह अपने घर जाना और अपने परिवार से पुनः मिलना चाहता है। उसका मानना था कि अपनी पत्नी और बच्चों से वह माफ़ी मांग लेगा, और वे माफ़ कर भी देंगे।
जनवरी में हुई नई सुनवाई : फ्रित्सल के मामले की जनवरी के अंत में हुई नई सुनवाई का एक नया कारण यह भी था कि अदालत द्वारा नियुक्त महिला मनश्चिकित्सक (साइकियाट्रिस्ट) ने अपने नए आकलन में उसे अब ख़तरनाक नहीं रहा बताया है। उसकी महिला वकील का कहना है कि 88 साल का हो चुका योज़ेफ फ्रित्सल दिमाग़ी तौर पर डिमेन्शिया (विक्षिप्तता) से पीड़ित है। जेल में उसे 15 साल हो गए हैं। उसे समय से पहले रिहा करने के किसी निर्णय के लिए सुनवाई की यही क़ानूनी समय-सीमा भी है।
ऑस्ट्रिया में आजीवन कारावास की सज़ा भोग रहे किसी क़ैदी को समय से पहले रिहा करने की औसत वास्तविक अवधि हालांकि 22 साल बताई जाती है। इसलिए महिला वकील की मांग पर जनवरी के अंत में आधे घंटे की एक नई अदालती सुनवाई हुई।
अब पश्चाताप हो रहा है : महिला वकील का तर्क था कि फ्रित्सल को अपने किए पर अब भारी पश्चाताप हो रहा है। वह बहुत टूट चुका है। उसकी कामवासना भी अब नहीं रही। जज ने तब भी उसे फ़िलहाल जेल में ही रखने और हर तीन महीनों पर मानसिक उचार देने का निर्णय सुनाया। महिला वकील ने कहा कि उसका लक्ष्य आगे भी यही रहेगा कि योज़ेफ फ्रित्सल को रिहाई मिले, ताकि वह अपने जीवन के बाक़ी दिन किसी नर्सिंग होम बिता सके।