इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को निशाना बनाया और कहा कि उन्हें (खान को) अयोग्य घोषित कर उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने को लेकर उनके खिलाफ वह 10 अरब रुपए का मानहानि का एक मुकदमा करेंगे। इसके साथ ही हकीकी मार्च के दौरान खान ने सेना पर भी निशाना साधा।
अपदस्थ प्रधानमंत्री ने अपने लॉन्ग मार्च के चौथे दिन की शुरुआत पर समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका मकसद इस्लामाबाद तक मार्च कर हकीकी आजादी (असली आजादी) हासिल करना है, जो तभी संभव होगा जब स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव शीघ्र कराए जाएंगे।
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) की 5 सदस्यीय एक समिति ने खान (70) को इस महीने की शुरुआत में मौजूदा नेशनल असेंबली की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। समिति के अध्यक्ष सिकंदर सुलतान रजा हैं, जो देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
सिकंदर आप चोरों के दोस्त हैं : खान ने कामोनकी में अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि सिकंदर सुल्तान, मैं आपको अदालत ले जाऊंगा...ताकि भविष्य में आप किसी के निर्देश पर किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचाएं। उन्होंने आरोप लगाया कि तोशाखाना और निषिद्ध फंडिंग मामले में उनके खिलाफ ईसीपी के फैसले मौजूदा सरकार के निर्देश पर दिए गए। उन्होंने कहा कि आप (सिकंदर) चोरों के दोस्त हैं और कार्रवाई की जाएगी।
पाकिस्तान के कानून के मुताबिक, अन्य देशों के किसी गणमान्य व्यक्ति से मिलने वाला कोई तोहफा अवश्य ही तोशाखाना में रखा जाना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री ने इससे पहले घोषणा की थी कि वह रजा के खिलाफ मानहानि का एक मामला दर्ज करेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री ने एक निजी टेलीविजन चैनल से बातचीत करते हुए यह घोषणा की।
उन्होंने देश के शक्तिशाली प्रतिष्ठान को भी निशाना बनाते हुए कहा कि किसी देश के प्रतिष्ठान को कभी राष्ट्र के खिलाफ नहीं होना चाहिए।
पाक फौज पर निशाना : इमरान खान ने पाकिस्तानी फौज पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं सेना से नहीं डरता। उन्होंने कहा कि मेरे साथ देश की जनता है इसलिए मैं फौज से नहीं डरता क्योंकि मैं मिलिट्री डिक्टेटर वाली नर्सरी में नहीं पला हूं।
हालांकि सेना विरोधी टिप्पणियों को लेकर आलोचना के बाद, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि पाकिस्तानी सेना 'मजबूत' हो और उनकी 'रचनात्मक' आलोचना का उद्देश्य शक्तिशाली बल को नुकसान पहुंचाना नहीं था। खान ने देश में राजनीतिक गतिरोध समाप्त करने के लिए जल्द चुनाव कराने की मांग की।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala (भाषा/वेबदुनिया)