भारत में शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल हुई, अब वेतन अंतर को पाटना प्राथमिकता

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 19 नवंबर 2024 (20:06 IST)
Gender equality in India : भारत (India) ने मंगलवार को कहा कि उसने शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता (Gender equality) हासिल कर ली है और अब वह गैर-परंपरागत क्षेत्रों में महिलाओं (Women) की कार्यबल भागीदारी बढ़ाने तथा लैंगिक आधार पर वेतन अंतर और डिजिटल विभाजन को पाटने को प्राथमिकता दे रहा है।
 
महिला सशक्तीकरण पर संयुक्त राष्ट्र मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में देश की ओर से वक्तव्य देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रीतम बी. यशवंत ने कहा कि भारत ने महिलाओं के समय के अभाव को कम करने के लिए स्वच्छ खाना पकाने वाले ईंधन, नल के पानी के कनेक्शन और शौचालयों के निर्माण जैसे लैंगिक-संवेदनशील समाधानों पर काम किया है।ALSO READ: उच्च शिक्षा मंत्री का दावा, हमारे भारतीय पुरखों ने की थी अमेरिका की खोज
 
भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली : उन्होंने कहा कि शिक्षा में असमानता में कमी को दर्शाने वाले क्षेत्रीय रुझानों के अनुरूप आज मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है। एसटीईएम विषयों में महिलाओं का अनुपात विश्व स्तर पर सबसे अधिक है।
 
यशवंत ने कहा कि भारत ने महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए जीवन-चक्र के आधार पर उनके मुद्दों के समाधान के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। हरित, लैंगिक-संवेदनशील समाधानों के माध्यम से लैंगिक गरीबी के अंतर को कम करने से लेकर महिलाओं के समय के आभाव को कम करने वाले उपाय जैसे स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन, नल से जल और शौचालयों का निर्माण आदि के माध्यम से भारत ने बड़े पैमाने पर नीतियों को आगे बढ़ाया है, जो महिलाओं के कठिन परिश्रम को कम करती हैं, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती हैं और उनके आर्थिक सशक्तीकरण को सक्षम बनाती हैं।ALSO READ: परीक्षा केंद्रों पर मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराएं : शिक्षा मंत्रालय
 
एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन मंगलवार को शुरू हुआ : बीजिंग+30 समीक्षा पर एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन मंगलवार को यहां शुरू हुआ जिसमें लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण के समर्थन में प्रगति और प्राथमिकता वाली कार्रवाइयों पर चर्चा करने के लिए सरकारों, नागरिक संस्थाओं और युवा समूहों, निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत के 1,200 से अधिक प्रतिनिधि एकत्रित हुए।
 
एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) और संयुक्त राष्ट्र महिला द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 3 दिवसीय सम्मेलन अगले वर्ष बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई मंच की 30वीं वर्षगांठ से पहले बैंकॉक में आयोजित किया जा रहा है।ALSO READ: Chanakya niti : अपने बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा तो चाणक्य की ये बात भी मान लें, वर्ना पछताएं
 
यशवंत ने कहा कि भारत द्वारा बीजिंग घोषणापत्र और कार्यवाही मंच का क्रियान्वयन हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के सिद्धांत पर आधारित है तथा यह सीईडीएडब्ल्यू के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से प्रेरित है। महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर भारत ने शासन में एक आदर्श बदलाव देखा है जिससे यह सुनिश्चित हो सका कि महिलाएं हमारे विकास पथ को आकार देने वाले उपायों की अवधारणा, डिजाइन और निगरानी में अग्रणी भूमिका निभाएं।
 
उन्होंने कहा कि हम लैंगिक आधार पर वेतन में होने वाले अंतर, लैंगिक डिजिटल विभाजन को पाटने तथा बेहतर स्वास्थ्य, कल्याण और पोषण संबंधी परिणामों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत नई दिल्ली के नेताओं के घोषणापत्र में भी परिलक्षित हुआ है।
 
उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता प्राप्त करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण लैंगिक बजट में दशकवार 218 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है तथा चालू वर्ष का आवंटन 37 अरब अमेरिकी डॉलर है। यशवंत ने कहा कि भारत ने 1दशक से भी कम समय में महिलाओं के वित्तीय समावेशन को तेजी से आगे बढ़ाया है और आज 30 करोड़ से अधिक महिलाओं के पास बैंक खाते हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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