विदेशी मामलों के जानकारों के अनुसार अहमदजई द्वारा अपनी पहली राजकीय विदेश यात्रा के लिए चीन को चुनना कई मायनों में महत्वपूर्ण है, विशेषकर ऐसे में जबकि संघर्षरत अफगानिस्तान से अमेरिका नीत गठबंधन फौजे वहां से हट रही है और हटने से पहले तालिबान पर अंकुश लगाने के प्रयास कर रही है।
दूसरी ओर चीन भी अफगानिस्तान के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने की कवायद में जुटा है। वह वहां अपना निवेश भी धीरे बढ़ा रहा है। अफगानिस्तान की सीमाएं चीन के अशांत प्रांत जिंगसियांग से मिलती है और इस क्षेत्र के इस्लामी कट्टरपंथी चीन के लिए बड़ी परेशानी का सबब बने हुए है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें अफगान उग्रवादी प्रशिक्षण देते हैं। इन तमाम पहलुओं के चलते निश्चत ही अफगान राष्ट्रपति की चीन यात्रा पर प्रेक्षकों की नजरें रहेगी।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन के बाद दोनों देशों के बीच यह पहला उच्चस्तरीय संपर्क है। विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री 65 वर्षीय श्रीअहमदजई पूर्व विदेशमंत्री अब्दुल्ला अब्दुल्ला के साथ कांटे की टक्कर में लड़े गए राष्ट्रपति चुनाव के बाद उनके दल के साथ सत्ता के बंट्वारे के लिए हुए समझौते के तहत देश के राष्ट्रपति बने अहमदजई से पहले हामिद करजाई अफगानिस्तान के राष्ट्रपति थे।