रायटर ने बताया कि पाकिस्तान सरकार ने इस संबंध में 19 दिसंबर को अपने सभी प्रांतों और अलग-अलग सरकारी विभागों को निर्देश जारी किया था। सरकार सईद द्वारा संचालित जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत संगठन को अपने कब्जे में लेना चाहती है। इस संबंध में हुई बैठक में शामिल तीन सरकारी अधिकारियों ने रायटर को यह जानकारी दी।
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने इस 'गोपनीय दस्तावेज' को जारी करते हुए पांच प्रांतों और वहां की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को कहा था कि वह 28 दिसंबर तक इस बारे में अपनी कार्ययोजना तैयार करें। मंत्रालय ने कहा था कि सरकार हाफिज सईद द्वारा संचालित जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत संगठन को अपने कब्जे में लेना चाहती है।
गौरतलब है कि अमेरिका ने जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन घोषित किया हुआ है हालांकि पाकिस्तान में, ये सभी संगठन 'चैरिटी' की आड़ में काम करते हैं। सईद ने लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना 1987 में की थी लेकिन अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद यह संगठन जमात उद दावा के नाम से अपनी गतिविधियां चलाने लगा। भारत और अमेरिका ने लश्कर को मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए हमले का जिम्मेदार ठहराया था जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी।