उन्होंने कहा कि भारत, अमेरिका के साथ निकट वाणिज्यिक एवं रक्षा संबंध विकसित करना चाहता है, ऐसे में उसे महत्वपूर्ण सुधारों की ओर कदम उठाने चाहिए, जो मजबूत होते संबंधों की आधारशिला रखेंगे। सैल्मन ने कहा कि ओबामा प्रशासन ने भारत को अपनी धुरी में शामिल करने के लिए 'अधूरे मन' से काम किया।
उन्होंने कहा कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में अपार संभावनाओं को अभी भुनाया नहीं गया है। भारत ढांचागत सुविधाओं संबंधी चुनौतियों, ऊर्जा मामलों एवं जटिल पड़ोसियों से संघर्ष कर रहा है लेकिन विश्व के 2 सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश सहज साझीदार हैं। (भाषा)