विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया कार्यक्रम के उपनिदेशक और वरिष्ठ एसोसिएट माइकल कुगेलमैन ने बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि सीपीईसी चीन की पैठ को मजबूत बनाएगा और साफतौर पर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ाएगा। कुगेलमैन के मुताबिक सीपीईसी पाकिस्तान को अधिक बिजली उत्पादन करने में मदद कर सकता है लेकिन वह पाकिस्तान के व्यापक बिजली संकट को हल नहीं कर सकेगा।
उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति और आर्थिक प्रदर्शन में स्थिरता चीन के लिए महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि यह सीपीईसी की सफलता के लिए यह पहली शर्त है। इसके अतिरिक्त भारत के कड़े विरोध को देखते हुए सीपीईसी ने भारत-पाकिस्तान के तनाव को बढ़ा दिया।
सीपीईसी पर भारत की प्रतिक्रिया का जिक्र करते हुए कुगेलमैन ने कहा कि इसको लेकर भारत को सबसे ज्यादा आपत्ति गिलगित-बाल्टिस्तान में निर्मित होने वाली परियाजनाओं पर है। भारत बीआरआई (बेल्ट और सड़क पहल) का औपचारिक रूप से विरोध नहीं कर रहा है बल्कि उसने अपनी चिंताओं को सीपीईसी तक सीमित कर रखा है जिसे भारत अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। (भाषा)