उन्होंने कहा, हम भारत के साथ अच्छे संबंध बनाने के इच्छुक हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इन संबंधों में सुधार होने की कोई गुंजाइश है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को लेकर पाकिस्तान आसक्त है तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है और भारत हमारी सुरक्षा के लिए एक खतरा है, जिसे लेकर हमें सतर्क रहना होगा और यही हमारी विदेश नीति का आधार है।
उन्होंने कहा कि विश्व में जिस तरह का बदलाव हो रहा है उसे देखते हुए पाकिस्तान भी अपनी विदेश नीति में बदलाव कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के अलग-थलग पड़ने या हाशिए पर आ जाने संबंधी सवालों पर प्रतिक्रिया करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने रूस के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाया है और चीन के साथ संबंधों को नया आयाम दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जहां तक अफगानिस्तान में स्थिरता और शांति का सवाल है तो इसमें पाकिस्तान की वास्तविक हिस्सेदारी है और वहां शांति स्थापित किए जाने संबंधी किसी भी द्विपक्षीय अथवा बहुस्तरीय मंच पर पाकिस्तान हिस्सेदार बनना चाहता है, लेकिन अगर अफगानिस्तान के लोग भारत के प्रतिनिधि बनकर रहना चाहते हैं तो यह भी स्वीकार्य नहीं है।