UNSC सदस्यों की संख्या बढ़ाने का कर रहे विरोध, भारत ने कहा- संकीर्ण सोच वाले हैं ये देश

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 19 फ़रवरी 2025 (17:35 IST)
UNSC News : भारत ने चीन की अध्यक्षता में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में कहा कि यूएनएससी के स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने का विरोध करने वाले देश यथास्थितिवादी व्यवस्था के समर्थक हैं, जिनकी सोच संकीर्ण और दृष्टिकोण गैर-प्रगतिशील है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि इस रवैए को अब स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘ग्लोबल साउथ’ से अनुचित व्यवहार जारी नहीं रखा जा सकता।

भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों के प्रमुख देश संयुक्त राष्ट्र के निकायों में उचित प्रतिनिधित्व के हकदार हैं। जहां तक ​​सुरक्षा परिषद की बात है, इसका मतलब स्थाई श्रेणी की सदस्यता से है। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
ALSO READ: UNSC में स्थायी सीट के लिए भारत ने फिर ठोंका दावा, ब्रिक्‍स समिट में जयशंकर ने की सबसे बड़ी पैरवी
पंद्रह सदस्‍यीय सुरक्षा परिषद में बहुपक्षवाद का अभ्यास और वैश्विक शासन में सुधार विषय पर आयोजित खुली बहस के दौरान हरीश ने कहा कि यूएनएससी में सुधारों के लिए तीन मूलभूत सिद्धांतों पर अमल आवश्यक है, जिनमें स्थाई और अस्थाई दोनों श्रेणियों में सदस्यों की संख्या में वृद्धि, ‘टेक्स्ट’ आधारित वार्ता की शुरुआत और महत्वाकांक्षी समयसीमा में ठोस परिणाम हासिल किया जाना शामिल है।
 
उन्होंने कहा, जो लोग स्थाई श्रेणी के विस्तार का विरोध कर रहे हैं, वे संकीर्ण सोच वाले यथास्थितिवादी हैं। उनका दृष्टिकोण साफतौर पर गैर-प्रगतिशील है। इसे अब स्वीकार नहीं किया जा सकता। हरीश ने पिछले साल सितंबर में आयोजित भविष्य का शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई इस टिप्पणी का जिक्र किया कि सुधार प्रासंगिकता की कुंजी है।
ALSO READ: खुशखबरी, भारत के कर्मचारियों की सैलरी 9.2 प्रतिशत बढ़ेगी, रिसर्च में खुलासा
उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र के मूल निकाय और ढांचे इतिहास की एक अलग अवधि का प्रतिनिधित्व करते हैं और भारत सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित करने के मामले में सुसंगत, स्पष्ट और एक प्रमुख आवाज रहा है। हरीश ने कहा, हमारी दुनिया बदल चुकी है और संयुक्त राष्ट्र को समय के साथ बदलने की जरूरत है।
 
इसे 1945 के बजाय वर्तमान वैश्विक व्यवस्था को प्रतिबिंबित करना होगा। भारत सुरक्षा परिषद में सुधार का मुखर समर्थक रहा है। उसने संयुक्त राष्ट्र निकाय की स्थाई और अस्थाई दोनों श्रेणियों में विस्तार की पैरवी की है। भारत का कहना है कि 1945 में स्थापित 15 सदस्‍यीय परिषद 21वीं सदी में उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं है और समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती है।
ALSO READ: SBI की रिपोर्ट में अनुमान, चालू वित्त वर्ष में भारत की GDP वृद्धि रहेगी 6.3 प्रतिशत
उसने इस बात पर जोर दिया है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता का हकदार है। भारत आखिरी बार 2021-22 में अस्थाई सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का हिस्सा था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी