Israel- Hamas war : इजराइल-हमास युद्ध में सीधे शामिल क्यों नहीं होगा ईरान, आखिर क्या हैं मजबूरियां

Webdunia
रविवार, 29 अक्टूबर 2023 (16:48 IST)
Israel- Hamas war update : ईरान ने इजराइल को चेतावनी दी है कि अगर उसने गाजा पट्टी पर अपनी निरंतर बमबारी नहीं रोकी तो उसे ‘कई मोर्चों’ पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस चेतावनी को ईरान द्वारा अपने सहयोगियों तथा छद्म समूहों के माध्यम से संघर्ष में प्रवेश करने के इरादे की घोषणा के रूप में समझा जा रहा है। लेबनान के साथ लगती इजराइली सीमा पर कम स्तर की झड़पों में शामिल हिजबुल्ला आतंकवादी समूह और सीरिया में असद सरकार दोनों की ईरान के साथ घनिष्ठता है।
 
ईरान की बढ़ती शत्रुतापूर्ण बयानबाजी को देखते हुए, वाशिंगटन और तेल अवीव इस बात पर विचार-विमर्श कर रहे हैं कि अगर तेहरान संघर्ष में शामिल होता है तो क्या करना है।
 
ईरान को लेकर इजराइल की स्थिति किसी प्रकार का समझौता न करने वाली रही है। पहले भी उसने ईरान के परमाणु केंद्रों पर सर्जिकल हमले करने की पैरवी की थी और वह ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या में भी संलिप्त रहा है।
 
गाजा युद्ध में ईरान का संभावित प्रवेश शत्रुओं के बीच दुश्मनी में एक नया अध्याय शुरू करेगा और युद्ध को सीधे ईरान के दरवाजे तक ले जाएगा।
 
सैन्य और राजनीतिक नतीजे : इजराइल को दी गई चेतावनियों के बावजूद ऐसा लगता नहीं है कि ईरान इस संघर्ष में सीधे प्रवेश करेगा क्योंकि उसे इजराइल की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया का खतरा होगा।
 
इसके परिणामस्वरूप ईरान अपनी वैचारिक बयानबाजी और राजनीतिक व्यवहार्यता के बीच मुश्किल संतुलन बनाए हुए हैं। लेकिन ईरान आग से खेल रहा है।
 
ईरान का आधिकारिक रुख अतिवादी है। वह इजराइल के अस्तित्व के अधिकार को ही खारिज करता है और इसे देश नहीं, बल्कि एक यहूदी संस्था मानता है। ईरान की आधिकारिक घोषणाएं इजराइल विरोधी बयानों से भरी पड़ी हैं।
 
जून में तेहरान ने अपनी नयी मिसाइल का परीक्षण किया था और यह दावा किया कि इसमें इजराइल तक पहुंचने की क्षमता है।
ईरान के सबसे बड़े नेता अली खामनेई का मुखपत्र माने जाने वाले केहान डेली के मुख्य संपादक ने इजराइल के खिलाफ युद्ध की आधिकारिक घोषणा का आह्वान किया।
 
हालांकि प्राधिकारी अच्छी तरह जानते हैं कि इजराइल के साथ खुलकर संघर्ष उसके लिए काफी महंगा साबित हो सकता है। इससे न केवल इजराइली सेना ईरानी केंद्रों को निशाना बना सकती है, बल्कि इसका उस सरकार पर राजनीतिक असर भी पड़ सकता है जो तेजी से अपने नागरिकों के बीच ही अलोकप्रिय होती जा रही है।
 
कोरी लफ्फाजी : अमेरिका द्वारा मशहूर युद्ध नायक कासिम सुलेमानी की जनवरी 2020 में हत्या किए जाने के बाद ईरानी प्राधिकारियों ने ‘‘करारा जवाब’’ देने का वादा किया था लेकिन उसकी प्रतिक्रिया अपेक्षाकृत कमजोर रही और उसने इराक की दो एयरफील्ड पर पूर्व चेतावनी देते हुए हमला किया था जहां अमेरिकी सैनिक तैनात थे।
 
ईरान ने इजराइल से बदले की कार्रवाई में भी यही रुख अपनाया। सीरिया में रूस और ईरान समर्थित बशर अल-असद सरकार के बने रहने ने यह सुनिश्चित किया कि ईरान के पास इजराइल पर हमला करने की क्षमता है लेकिन वह ऐसा करने से जानबूझकर बचता रहा है।
 
उसकी यह स्थिति तब भी ऐसी है जब इजराइल ने सीरिया में ईरानी संपत्तियों को लगातार निशाना बनाया है।
 
चूंकि ईरान ने हिजबुल्ला को प्रशिक्षित तथा प्रायोजित किया है तो हम यह नहीं मान सकते कि तेहरान का अपनी सभी इकाइयों पर पूर्ण नियंत्रण है। एजेंसियां

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