प्रमुख सहयोगी हो सकते हैं भारत-आसियान : नरेन्द्र मोदी

बुधवार, 12 नवंबर 2014 (17:05 IST)
ने पई ताव। भारत-आसियान के बीच संबंधों में किसी तरह की ‘खींचतान नहीं होने’ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को आसियान नेताओं से कहा कि भारत में आर्थिक विकास, औद्योगीकरण तथा व्यापार के नए युग की शुरुआत हुई है और वे एक-दूसरे के ‘अहम सहयोगी’ हो सकते हैं।
भारत की 10 देशों के आसियान समूह के साथ संबंधों को मजबूत बनाने की आकांक्षा के बीच मोदी ने कहा कि भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान) क्षेत्र में संतुलन, शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सहयोग को मजबूत बनाने को लेकर गंभीर है।
 
म्यांमार की राजधानी में 12वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने हिन्दी में दिए अपने भाषण में कहा कि आसियान समुदाय भारत का पड़ोसी है। हमारा प्राचीनकाल से व्यापार, धर्म, संस्कृति, कला तथा पंरपरा के क्षेत्र में संबंध रहा है। हमने पारस्परिक बातचीत के जरिए एक-दूसरे को समृद्ध किया। इससे आधुनिक संबंधों की मजबूत बुनियाद बनी।

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यही कारण है कि हमारे वैश्विक विचार कई मायनों में एक समान हैं, हमारा द्विपक्षीय विश्वास और भरोसा मजबूत है। हमारे संबंधों में खींचतान वाली कोई बात नहीं है। हम एक ही तरीके से दुनिया में उत्साहजनक अवसर तथा चुनौतियां देखते हैं।
 
भारत और आसियान के अपने सपनों को साकार करने में काफी हद तक सफल रहने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने मजबूत और व्यापक रणनीतिक भागीदारी के लिए आधार रखा है।
 
3 देशों म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी की 10 दिन की यात्रा के बुधवार को दूसरे दिन मोदी ने म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में कहा कि मेरी सरकार 6 महीने से सत्ता में है और जिस तेजी से हमने पूर्व के साथ संबंधों को मजबूत बनाया है, वह उस इस बात को प्रतिबिंबित करता है कि हमने क्षेत्र को कितनी प्राथमिकता दी है।
 
उन्होंने कहा कि भारत में आर्थिक विकास, औद्योगीकरण तथा व्यापार के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हुई है। भारत की ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ अब ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ बन गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तेजी से विकास कर रहे भारत और आसियान एक-दूसरे के प्रमुख सहयोगी हो सकते हैं। हम दोनों क्षेत्र में संतुलन, शांति और स्थिरता के लिए सहयोग बढ़ाने को लेकर गंभीर हैं।
 
मोदी ने कहा कि लेकिन हमारी जो संभावनाएं हैं, हम इस समय जहां हैं, उससे कहीं ज्यादा है। आसियान के सदस्य देशों की आबादी 60 करोड़ है, जो दुनिया की आबादी का 8.8 प्रतिशत है। फिलहाल भारत-आसियान व्यापार करीब 76 अरब डॉलर का है। दोनों मिलाकर यह 1.8 अरब लोगों का बाजार है।
 
हालांकि भारत का आसियान के साथ व्यापार, आसियान के कुल व्यापार का केवल 3 प्रतिशत है। अधिकारियों का कहना है कि व्यापार बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। दोनों पक्षों ने 2015 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा है।
 
मोदी ने कहा कि बुधवार को आसियान ने वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मामलों में अपनी पहचान बनाई है और आवाज बुलंद की है। बुधवार को समूचे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक होने और सहयोग की चाह है।
 
पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एकीकरण और सहयोग की इच्छा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अत्यंत महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम आसियान की ओर देखते हैं, न केवल प्रेरणा के लिए बल्कि उसके नेतृत्व के लिए भी और आपने हमें इस दिशा में रास्ता दिखाकर बड़ी सफलता हासिल की है। (भाषा) 

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