नासा को बड़ी सफलता, शनि के चंद्रमा पर धूल भरी आंधी का पता चला
मंगलवार, 25 सितम्बर 2018 (20:59 IST)
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने नासा के कैसिनी अंतरिक्षयान से मिले आंकड़ों का उपयोग कर शनि के सबसे बड़े चंद्रमा 'टाईटन' पर धूल भरी आंधी चलने का पता लगाया है।
नासा ने एक बयान में कहा कि इस खोज से पृथ्वी और मंगल के बाद अब टाईटन सौरमंडल का तीसरा ऐसा ग्रह/उपग्रह हो गया है, जहां धूल भरी आंधी पाई गई है।
यह खोज नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसमें वैज्ञानिकों ने कहा है कि टाईटन कई मायनों में पृथ्वी के बिल्कुल ही समान है।
फ्रांस के पेरिस डाइडरॉट विश्वविद्यालय के खगोलविद सेबस्टियन रोड्रिग्स ने बताया कि वे पृथ्वी और मंगल के साथ एक और समानता जोड़ सकते हैं, वह है धूल भरी आंधी का चलना। टाईटन की विषुवत रेखा के आसपास स्थित रेत के टीलों से धूल भरी आंधी चलती है।
गौरतलब है कि सौरमंडल में टाईटन किसी ग्रह एक मात्र ऐसा चंद्रमा है जहां एक वायुमंडल है। बस, अंतर इतना है कि पृथ्वी की सतह पर मौजूद नदियां, झील और महासागर पानी से भरे हुए हैं जबकि टाईटन पर यह प्राथमिक रूप से मीथेन और ईथेन है जो तरल भंडारों से होकर प्रवाहित होता है।
इस अनोखे चक्र में हाईड्रोकार्बन अणु वाष्पीकृत होते हैं, बादलों में तब्दील होते हैं और फिर सतह पर बरस जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने कैसिनी से ली गई इंफ्रारेड तस्वीरों के जरिए शुरू में तीन असमान्य चमकीली चीजों की पहचान की थी। उन्हें लगा था कि ये मीथेन के बादल होंगे। हालांकि छानबीन करने पर इस बात का पता चला कि वे बिल्कुल ही अलग चीजें हैं।
आर्गेनिक धूल उस वक्त बनती है जब सूरज की रोशनी और मीथेन के संपर्क में आने से बने आर्गेनिक अणु सतह पर गिरने के लिए बड़े आकार के हो जाते हैं। धूल भरी आंधी पैदा करने वाली प्रबल हवालों की मौजूदगी का यह मतलब है कि टाईटन के विषुवतीय क्षेत्रों को ढके हुए रेत के टिब्बे अब भी सक्रिय हैं और इनमें लगातार बदलाव हो रहा है।
कैसिनी अंतरिक्ष यान को पिछले साल 15 सितंबर को अंतरिक्ष में कामकाज से हटा दिया गया और इस तरह उसकी 19 साल की अंतरिक्ष यात्रा समाप्त हो गई। (भाषा)