सान डिएगो-ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालय के चांसलर प्रदीप खोसला ने बताया कि रॉजर अद्भुत व्यक्ति थे। वे दुर्लभ प्रतिभा वाले थे जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता है। त्सीन विश्वविद्यालय के सान डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसीन में 27 साल तक औषधशास्त्र, रसायनशास्त्र और जैव रसायन के प्रोफेसर थे।
साल 2008 में उन्हें जेलीफिश से प्राप्त हरे फ्लोरोसेंट प्रोटीन का शोध के औजार के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए ओसामू शिमोमुरा और मार्टिन चेल्फी के साथ नोबेल पुरस्कार मिला था। यह प्रोटीन मस्तिष्क की कोशिकाओं से लेकर बैक्टीरिया के संपर्क में आने पर चमक उठता है। ये फ्लोरोसेंट मार्कर कैंसर कोशिकाओं का पता लगा सकते हैं और मस्तिष्क में एल्जाइमर रोग के बढ़ने का पता लगाते हैं।