उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में विश्व की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है लेकिन यह गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और बीमारियां झेल रहा है। आर्थिक क्षेत्र में दक्षेस की हिस्सेदारी बहुत कम है। सदस्य देशों को शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।