लाहौर। पाकिस्तान के सियालकोट में 1,000 साल पुराना हिन्दू मंदिर बंटवारे के बाद पहली बार ‘पूजा’ के लिए खोला गया। अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय लोगों की मांग के बाद इसे खोला गया है।
दिवंगत लेखक राशिद नियाज के द्वारा लिखी गई ‘हिस्ट्री ऑफ सियालकोट’ के मुताबिक यह मंदिर 1,000 साल पुराना है और लाहौर से 100 किलोमीटर की दूरी पर शहर के धारोवाल क्षेत्र में है। इस मंदिर का नाम शवाला तेजा सिंह मंदिर है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पवित्र स्थलों की देखरेख करने वाली इवेक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड ने स्थानीय हिन्दू समुदाय की मांग पर भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पहली बार मंदिर का दरवाजा खोला है।
उन्होंने कहा कि पहले इस क्षेत्र में हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोग नहीं रहते थे इसलिए यह मंदिर बंद था। उन्होंने बताया कि 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद इस मंदिर पर हमला हुआ था और यह आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था।
पाकिस्तान में हिन्दू समुदाय सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यहां करीब 75 लाख हिन्दू रहते हैं, लेकिन इस समुदाय का कहना है कि यहां 90 लाख से ज्यादा हिन्दू हैं। (भाषा)