'डॉन न्यूज' ने खबर दी है कि पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू इस विधेयक को व्यापक तौर पर स्वीकार करते हैं क्योंकि यह शादी, शादी के पंजीकरण, अलग होने और पुनर्विवाह से संबंधित है। इसमें लड़के और लड़की दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है।
इस विधेयक की मदद से हिन्दू महिलाएं अब अपने विवाह का दस्तावेजी सबूत हासिल कर सकेंगी। यह पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए पहला पर्सनल लॉ होगा जो पंजाब, बलूचिस्तान और खबर पख्तूनख्वा प्रांतों में लागू होगा। सिंध प्रांत पहले ही अपना हिन्दू विवाह विधेयक तैयार कर चुका है।
विधेयक को सीनेट में कानून मंत्री ज़ाहिद हमीद ने पेश किया जिसका किसी ने विरोध नहीं किया। यह इसलिए हुआ क्योंकि प्रासंगिक स्थायी समितियों में सभी सियासी पार्टियों के सांसदों ने हमदर्दी वाला नजरिया जाहिर किया था। 'सीनेट फंक्शनल कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स' ने दो जनवरी को जर्बदस्त बहुमत के साथ विधेयक को मंजूरी दी थी। (भाषा)