मोदी ने यहां अनौपचारिक शिखर वार्ता के दौरान शी को शू बीहोंग की कलाकृतियों की प्रतिलिपियां दीं। शू घोड़ों और पक्षियों की अपनी स्याही पेंटिग के लिए जाने जाते थे। वह उन कलात्मक अभिव्यक्तियों की जरुरतों को सामने रखने वाले प्रथम चीनी कलाकारों में एक थे जिनमें 20 वीं सदी के प्रारंभ में आधुनिक चीन परिलक्षित हुआ। पेंटिंग में एक घोड़ा और घास पर गौरैया नजर आ रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि ‘घोड़ा, गौरैया और घास' शीर्षक वाली ये पेंटिंग विश्वभारती के संग्रहण में है। आईसीसीआर ने वुहार में इन दोनों नेताओं की अनौपचारिक शिखर भेंटवार्ता के मौके लिए उनकी एकल प्रतिलिपियों का विशेष रुप से ऑर्डर किया था।
सूत्रों के अनुसार शू चीन से प्रथम विजिटिंग प्रोफेसर के रुप में शांति निकेतन आए थे और उन्होंने कलाभवन में अध्यापन किया था। उस दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने दिसंबर, 1939 में शू बीहोंग की 150 से अधिक कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। (भाषा)