वुहान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चीन के क्रांतिकारी नेता माओ त्से तुंग की पसंदीदा जगह वुहान में ‘दिल से दिल’ की अनोखी बात शुरू हो गई है।
दोनों नेताओं के बीच हो रही इस दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर बैठक के दौरान द्विपक्षीय, वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार सुबह वुहान पहुंचे, जहां राष्ट्रपति शी ने उनका भव्य स्वागत किया। इसके तुरंत बाद दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि दोनों नेता रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों में हुए विकास की समीक्षा करेंगे। वुहान स्थित हुबेई प्रोविंशियल म्यूजियम में आयोजित सांस्कृतिक समारोह देखने से पहले मोदी और शी ने हाथ मिलाया और तस्वीरें खिंचवाईं।
गौरतलब है कि चीन के क्रांतिकारी नेता माओ त्से तुंग छुट्टियों में अकसर वुहान और यहां स्थित ईस्ट लेक आना पसंद करते थे। सूत्रों ने बताया कि हुबेई प्रोविंशियल म्यूजियम में दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत शुरू हुई। इस संग्रहालय में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पुरावशेष मौजूद हैं।
दोनों नेताओं के बीच इस अनौपचारिक शिखर बैठक को पिछले वर्ष 73 दिन तक चले डोकलाम गतिरोध के बाद भारत-चीन संबंधों को सुधारने और विश्वास बहाली के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। सीधी बातचीत का दौर खत्म होने के बाद दोनों नेताओं के बीच होने वाली बैठक में दोनों पक्षों के छह-छह शीर्ष अधिकारी मौजूद होंगे।
इसके बाद दोनों नेता प्रसिद्ध ईस्ट लेक में आमने-सामने बैठकर रात का भोजन करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच इसके बाद की बातचीत कल सुबह 10 बजे (स्थानीय समयानुसार) झील के किनारे टहलते और नौकायन करते हुए शुरू होगी। फिर दोपहर के भोजन के साथ उनकी बातचीत का सिलसिला थमेगा।
दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक मुलाकात 2014 में शुरू हुई थी, जब मोदी ने गुजरात के साबरमती आश्रम में शी की मेजबानी की थी। उसके बाद से दोनों ने कई अंतरराष्ट्रीय बैठकों के दौरान एक-दूसरे से मुलाकात और बातचीत की। लेकिन, यह वार्ता दोनों की ‘खुले दिल से’ होने वाली अनौपचारिक मुलाकात होगी।
अधिकारियों के मुताबिक इस वार्ता में किसी तरह का समझौता होने की घोषणा करने की बजाए मुद्दों को सुलझाने के लिए सहमति बनाने और अधिकारियों द्वारा उस पर आगे की कार्यवाही करने पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह इस तरह की बातचीत होगी जिसका प्रयास दोनों देश के नेताओं ने इससे पहले कभी नहीं किया था। (भाषा)