ग्लासगो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु पर अपने संबोधन में दिया बड़ा मंत्र

मंगलवार, 2 नवंबर 2021 (22:03 IST)
ग्लासगो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ग्लासगो में COP26 में 'वन सन, वन वर्ल्ड एंड वन ग्रिड' पहल का समर्थन करते हुए कहा कि इससे न केवल भंडारण की जरूरत कम होगी बल्कि सौर परियोजनाओं की व्यवहार्यता भी बढ़ेगी। पीएम मोदी ने COP26 लीडर्स इवेंट 'एक्सेलरेटिंग क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड डेवलपमेंट' को संबोधित करते हुए कहा कि 'ग्रीन ग्रिड' की मेरी कई सालों पुरानी परिकल्पना को आज अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और यूके के 'ग्रीन ग्रिड' इनिशिएटिव से एक ठोस रूप मिला है।
 
COP26 में 'एक्सेलरेटिंग क्लीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड डिप्लॉयमेंट' कार्यक्रम में अपनी टिप्पणी देते हुए प्रधानमंत्री ने 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' (OSOWOG) पहल के विचार को दोहराया जिसे पीएम मोदी ने अक्टूबर 2018 में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के दौरान अपनी पहली विधानसभा में रखा था। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इस रचनात्मक पहल से कार्बन फुटप्रिंट और ऊर्जा की लागत तो हम होगी ही, अलग-अलग क्षेत्रों और देशों के बीच सहयोग का एक नया मार्ग भी खुलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि 'वन सन, वन वर्ल्ड एंड वन ग्रिड' और 'ग्रीन ग्रिड' इनिशिएटिव के सामंजस्य से एक संयुक्त और सुदृढ़ वैश्विक ग्रिड का विकास हो पाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को अपने यूके समकक्ष बोरिस जॉनसन के साथ संयुक्त रूप से 'ग्रीन ग्रिड' इनिशिएटिव- 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' (GGI-OSOWOG) का शुभारंभ किया। सौर ऊर्जा के लाभों को नोट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि OSOWOG पहल के साथ एकमात्र चुनौती सिर्फ इतनी है कि सौर ऊर्जा सिर्फ दिन में ही उपलब्ध है और मौसम पर ही निर्भर है। 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' इसी चुनौती का हल है। एक वर्ल्ड वाइड ग्रिड से क्लीन एनर्जी हर जगह, हर समय मिल पाएगी, इससे स्टोरेज की आवश्यकता भी कम होगी और सोलर प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता भी बढ़ेगी।
 
पीएम मोदी ने कहा कि मानवता के भविष्य को बचाने के लिए हमें फिर से सूरज के साथ चलना होगा। जितनी ऊर्जा पूरी मानव जाति सालभर में उपयोग करती है, उतनी ऊर्जा सूर्य 1 घंटे में धरती को देता है। ये अपार ऊर्जा पूरी तरह स्वच्छ और सतत है। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि 'वन सन, वन वर्ल्ड एंड वन ग्रिड' और 'ग्रीन ग्रिड' पहल के बीच सहयोग के माध्यम से एक सामान्य और मजबूत वैश्विक ग्रिड विकसित किया जा सकता है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो दुनिया को सौर कैल्कुलेटर एप्लीकेशन प्रदान करने जा रही है।

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