श्रीलंका ने माना युद्ध में 65 हजार लोग लापता

गुरुवार, 9 जून 2016 (10:47 IST)
कोलंबो। श्रीलंका ने गुरुवार को पहली बार तमिल टाइगर विद्राहियों और अलगाववादी विद्रोहियों के साथ 26 साल पहले हुए गृहयुद्ध में 65 हजार लोगों के लापता होने की बात स्वीकार की है।
 
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की गठबंधन सरकार ने गृहयुद्ध के दौरान मानव अधिकारों के उल्लंघन होने की बात स्वीकार की है और संयुक्त मानवाधिकार परिषद द्वारा स्वतंत्र जांच कराने के लिए सहमति जताई है।
 
श्रीलंका ने भी गुरुवार को कहा कि लापता लोगों की संपत्ति के प्रबंधन के लिए उनके बच्चों को अनुपस्थिति प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं जिससे लापता लोगों के रिश्तेदारों को संरक्षण प्राप्त हो और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए आवेदन करने की इजाजत मिल सके।
 
संयुक्त राष्ट्र सरकार से लापता लोगों की जांच के लिए आग्रह करने के बाद एक स्वतंत्र कार्यालय का गठन किया गया है जिनमें से हजारों लापता लोगों जिनमें से अधिकतर अल्पसंख्यक तमिलों के गायब होने की जांच की जा सके।
 
इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे की सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की सिफारिशों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बिना संबंधित अधिकारों की चिंताओं को दूर करना चाहता था। इसके बाद जनवरी 2015 में राजपक्षे सत्ता से बेदखल हो गए थे। 
 
पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका भंडारनायके एवं नई सरकार की समन्वय अधिकारी ने बताया कि 1994 के बाद विभिन्न आयोग दस्तावेजों में यह जिक्र हुआ था कि युद्ध के दौरान लगभग 65 हजार लोगों की मौत हो चुकी है या फिर लापता हैं।
 
श्रीलंका के पूर्वी और उत्तरी द्वीप में स्वतंत्र तमिल राज्य के लिए तमिल टाइगर ने 1983 में यह लड़ाई शुरू की थी। यह विद्रोह वर्ष 2009 में समाप्त हुआ था। एक कट्टरपंथी समूह मार्क्सवादी ने 1987-89 में सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह छेड़ा था। (वार्ता) 

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