लोगों को 'नए पाकिस्तान' का सपना दिखाने वाले प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी खतरे में है। किसी भी समय उनका इस्तीफा हो सकता है। यदि इमरान का इस्तीफा होता है या फिर उन्हें हटाया जाता है तो एक बार फिर इतिहास खुद को दोहराएगा।
दरअसल, 14 अगस्त 1947 को एक अलग राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान अस्तित्व में आया। 75 साल के इतिहास में कोई भी निर्वाचित प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। विभाजन के बाद पाकिस्तान में अब तक 22 नेता प्रधानमंत्री पद पर आसीन हो चुके हैं। वहीं 1958, 1977 और 1999 में 3 बार ऐसे मौके भी आए जब पाकिस्तानी सेना ने जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का तख्ता पलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया।
जनरल अयूब खान, जनरल याहया खान, जनरल जिया उल हक और जनरल परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के ऐसे सैन्य अधिकारी रहे, जिन्होंने निर्वाचित सरकार को सत्ता से बेदखल कर पाकिस्तान की सत्ता पर जबरिया कब्जा जमा लिया। 1951, 1980 और 1995 में भी पाक सेना ने सत्ता हथियाने की कोशिश की थी, लेकिन वह नाकाम रही। 1953-54 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी एक बार संवैधानिक तख्तापलट कर चुके हैं।
आइए जानते हैं पाकिस्तान के किस प्रधानमंत्री ने कितने समय तक शासन किया...
पाकिस्तान के कायदे आजम और तत्कालीन गवर्नर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना ने लियाकत अली खान को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया, लेकिन 1951 में लियाकत की हत्या कर दी गई। पहले प्रधानमंत्री के रूप में अली का कार्यकाल 4 साल 61 दिन रहा।
लियाकत अली की हत्या के बाद सर ख्वाजा निजामुद्दीन को पाकिस्तान का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया, लेकिन साल 1953 में गवर्नर जनरल मलिक ने उनकी सरकार को भंग कर दिया।
मोहम्मद अली बोगरा पाकिस्तान के तीसरे प्रधानमंत्री बने। 1954 में विधायी चुनाव के बाद गवर्नर जनरल ने 1955 में उन्हें पद से हटा दिया।
1955 में चौधरी मोहम्मद अली पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। उन्हें उनकी ही पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव पारित करके पद से हटा दिया।
1956 में हुसैन सुहरावर्दी पाकिस्तान के 5वें प्रधानमंत्री बने। समर्थन दे रहीं पार्टियों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद उनकी कुर्सी चली गई।
इब्राहिम इस्माइल 1957 में पाकिस्तान के छठे प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ दो महीने ही चल पाया।
1957 में सर फिरोज खान नून पाकिस्तान के 7वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन राष्ट्रपति इश्किंदर मिर्जा ने 1958 में अपना कार्यकाल बढ़ाने के लिए संवैधानिक तख्तापलट कर दिया।
1971 में नूरुल इस्लाम सिर्फ 13 दिन के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। वे आठवें प्रधानमंत्री थे।
राष्ट्रपति पद छोड़कर 1973 में जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के 9वें प्रधानमंत्री बने। इससे पहले कि भुट्टो अपने 4 साल पूरे करते जनरल जिया उल हक ने 1977 में तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ले ली। अपनी ही पार्टी के एक नेता की हत्या के आरोप में 4 अप्रैल, 1979 को जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया।
1985 में जुनेजो पाकिस्तान के 10वें प्रधानमंत्री बने। वे तीन साल से कुछ ज्यादा समय तक ही प्रधानमंत्री रह पाए।
1988 में बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली महिला और 11वीं प्रधानमंत्री बनीं। वे एक साल 8 महीने ही सत्ता में रह पाईं।
1990 में नवाज शरीफ देश के 12वें प्रधानमंत्री बने। लेकिन, राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने अप्रैल 1993 में उनकी सरकार को भंग कर दिया।
1993 में एक बार फिर बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। नवंबर 1996 में राष्ट्रपति फारूक लेघारी ने उन्हें सत्ता से हटा दिया।
1997 में नवाज शरीफ एक बार फिर सत्ता में लौटे, लेकिन 1999 में जनरल परवेज मुशरफ ने तख्ता पलट कर पाकिस्तान में सैन्य शासन स्थापित किया। शरीफ 14वें प्रधानमंत्री थे।
साल 2002 में मीर जफरुल्ला खान जमाली पाकिस्तान के 15वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन जून 2004 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
चौधरी सुजात सुहैत 16वें प्रधानमंत्री चुने गए, लेकिन वे 57 दिन तक ही इस कुर्सी पर रहे।
अगस्त 2004 में शौकत अजीज देश के 17वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन वे इस पद पर तीन साल, ढाई महीने ही रह पाए।
2008 के चुनावों के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के यूसुफ रजा गिलानी पाकिस्तान के 18वें प्रधानमंत्री बने। वे 4 साल 3 महीने इस पद पर रहे। दरअसल, 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें संसद में उनके पद से अयोग्य घोषित कर दिया था। हालांकि वे सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे।
गिलानी के बाद परवेज अशरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। वे 9 महीने तक ही इस पद पर रह पाए।
जून 2013 में नवाज शरीफ एक बार फिर चुनाव जीते और प्रधानमंत्री बने। लेकिन, पनामा पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2017 में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। वे करीब 4 साल, 2 महीने तक इस पद पर रहे।
इसके बाद नवाज शरीफ की पार्टी ने शाहिद खाकान अब्बासी को सत्ता सौंपी जो कि 300 दिन से अधिक समय तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे।
साल 2018 के चुनाव में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई और खान देश के 22वें प्रधानमंत्री बने।
मार्च 2022 के अंत में अल्पमत में आई इमरान खान की पार्टी, पीएम पद से इमरान की विदाई लगभग तय।