दरअसल इस गुफा के घुप अंधेरे में भरे पानी, संकरे, टेढ़े-मेढ़े रास्तों से बच्चों को सुरक्षित वापस लाना, मौत के मुंह से वापस लाने से कम नहीं था। मानसूनी बरसात लगातार मिशन में बाधा डाल रही थी तो कई बच्चों को ठीक से तैरना भी नहीं आता था। लगातार गुफा में बढ़ते पानी से वहां ऑक्सीजन भी कम होती जा रही थी।
इस पूरे रेस्क्यू अभियान में दुनियाभर से लोगों ने अपने स्तर पर मदद की। एलन मस्क ने अपनी रोबोटिक किड सबमरीन भेजी तो अमेरिका, कैनेडा ब्रिटेन और भारत ने भी मदद के हाथ आगे बढ़ाए। लेकिन इस पूरे अभियान में सबसे दुरूह कार्य रहा वहां मौजूद डाइवर्स (गोताखोर), चिकित्सकों और स्वयंसेवियों का जिन्होंने एक पल भी हार नहीं मानी और बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।