SAARC मीटिंग से उठकर चली गईं सुषमा स्वराज, पाकिस्तान के विदेश मंत्री नाराज
शुक्रवार, 28 सितम्बर 2018 (08:40 IST)
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गुरुवार को न्यूयॉर्क में SAARC मीटिंग में अपने भाषण के बाद मीटिंग छोड़ कर चली गईं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इस पर नाराजगी जाहिर की।
सुषमा ने कहा कि आतंकवाद के खात्मे के लिए एक साथ काम करने की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शांति और स्थिरता के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है। यह ज़रूरी है कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए बिना किसी भेदभाव के समर्थन किया जाए।
भाषण देने के बाद सुषमा स्वराज वहां से चली गईं और उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी के स्टेटमेंट का इंतजार नहीं किया। कुरैशी ने इस पर आपत्ति जताई। हालांकि उनसे पहले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री भी अपना स्टेटमेंट देने के बाद बैठक से चले गए थे।
दक्षेस में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका शामिल हैं। इसकी स्थापना दक्षिण एशिया में लोगों के कल्याण के लिए दिसंबर 1985 में की गई थी।
दक्षेस की मंत्री स्तरीय बैठक में स्वराज ने कहा, 'प्रगति और आर्थिक विकास लक्ष्यों को हासिल करने तथा हमारे लोगों की समृद्धि के लिए क्षेत्रीय सहयोग हेतु शांति और सुरक्षा का वातावरण बहुत जरूरी है।'
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया को खतरे में डालने वाली घटनाओं की संख्या बढ़ी है और क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए आतंकवाद अब भी सबसे बड़ा खतरा है।
सूत्रों के मुताबिक स्वराज ने कहा, 'यह जरूरी है कि बिना किसी भेदभाव के आतंकवाद को उसके सभी रूपों में और उसकी मदद करने वाले तंत्रों को खत्म करना जरूरी है।' स्वराज दक्षेस की बैठक समाप्त होने से पहले ही वहां से निकल आई थीं।
उनके बयान के कुछ ही देर बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान चाहता है कि दक्षेस परिणामोन्मुखी बने। भारत का नाम लिए बगैर कुरैशी ने कहा, 'हमने अगला कदम तय कर लिया है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि दक्षेस की प्रगति और क्षेत्र के संपर्क तथा समृद्धि के रास्ते में सिर्फ एक अवरोधक है।'
यह पूछने पर कि दक्षेस बैठक के दौरान क्या उनकी स्वराज से बातचीत हुई, कुरैशी ने इससे इनकार किया। उन्होंने कहा, 'वह बैठक की बीच से ही चली गईं, शायद उनकी तबीयत ठीक नहीं रही होगी।'
उन्होंने कहा, 'स्वराज क्षेत्रीय सहयोग की बात कर रही हैं, लेकिन मेरा सवाल है कि क्षेत्रीय सहयोग कैसे संभव होगा जबकि क्षेत्रीय देश साथ बैठने को तैयार नहीं है और उस वार्ता तथा चर्चा में आप ही अवरोधक हैं।