'ताजमहल' वायु प्रदूषण से हो रहा है बदरंग

वॉशिंगटन। भारतीय एवं अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि हवा में तैरते कार्बन कणों एवं धूलकणों के चलते ताजमहल बदरंग होता जा रहा है और उसका चमचमाता सफेद रंग भूरा होता जा रहा है।
 

 
जार्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी के स्कूल ऑफ अर्थ एंड एटमोसफेरिक साइंसेज के प्रोफेसर माइकल बर्गिन ने कहा, हमारी टीम यह दर्शाने में सफल रही है कि ताजमहल को बदरंग कर रहे प्रदूषक बायोमास, अपशिष्ट, जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलने वाले कार्बन कण और धूलकण हैं। 
 
जार्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी के अलावा कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण और विसकोंसिन विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने इस अध्ययन में साथ दिया।
 
सोलहवीं शताब्दी में मुगल शासक शाहजहां द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनाए गए इस ताजमहल में मार्बल का 115 फुट ऊंचा गुंबद और 130 ऊंचे चार मीनार हैं। 
 
यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं और यह 1983 में यूनेस्को का वैश्विक धरोहर स्थल बन गया। अब तक माना जा रहा था कि बदरंग होने के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है लेकिन उसके लिए कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं किया गया था।
 
बदरंग होने की वजह जानने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने नवंबर, 2011 से जून, 2012 के बीच एयर सैम्पलिंग उपकरण का इस्तेमाल किया ताकि यह पता चल पाया कि ताजमहल परिसर के वायु में क्या है। 
 
उन्होंने अपने इस अध्ययन के दौरान सैम्पल के तौर पर मूल मार्बल ताजमहल परिसर रख दिए। दो महीने बाद सैम्पल का उन्होंने अध्ययन किया। अनुसंधानकर्ताओं को उपकरण के फिल्टर और मार्बल सैम्पलों पर भूरे आर्गेनिक कार्बन और काले कार्बन के कण मिले। (भाषा)

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