अमेरिकी संसद पर ट्रंप समर्थकों का हमला, जानिए किसने क्या कहा...

गुरुवार, 7 जनवरी 2021 (12:15 IST)
लंदन। अमेरिका में कैपिटल परिसर में बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के हंगामे की दुनियाभर के नेताओं ने निंदा की है और हंगामे की वजह से देश में उपजे हालात पर क्षोभ जताया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट किया कि अमेरिकी संसद में अशोभनीय दृश्य देखने को मिले। अमेरिका विश्वभर में लोकतंत्र के लिए खड़ा रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और तय प्रक्रिया के तहत उचित तरीके से हो।
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अमेरिका के अन्य सहयोगी देशों ने भी इसे 'लोकतंत्र पर हमला' बताया है। हालांकि कुछ ने कहा है कि उन्हें भरोसा है कि अमेरिका की लोकतांत्रिक व्यवस्था इससे उबर आएगी। कुछ नेताओं ने निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तीखी आलोचना की। जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने ट्विटर पर लिखा कि ट्रंप और उनके समर्थकों को अमेरिकी मतदाताओं के फैसले को स्वीकार कर लेना चाहिए और लोकतंत्र पर हमला बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भड़काऊ बयानों से हिंसक घटनाएं हुईं। लोकतांत्रिक संस्थाओं की अवहेलना का खतरनाक परिणाम होता है।
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नाइजीरिया के राष्ट्रपति के निजी सहायक बशीर अहमद ने ट्वीट किया कि क्या लोकतंत्र की यही खूबसूरती है? नाइजीरिया में कई दशक बाद लोकतांत्रिक तरीके से मुहम्मद बुहारी के नेतृत्व में सरकार बनी है। चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा और कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूक उन लैटिन अमेरिकी देशों के नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने प्रदर्शनकारियों की निंदा की। हालांकि दोनों नेताओं ने भरोसा जताया कि अमेरिका में लोकतंत्र और कानून का शासन कायम रहेगा।
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इटली में भी लोगों ने हिंसा की घटना पर हैरानी जताई और कहा कि अमेरिका को हमेशा लोकतांत्रिक देश के मॉडल के तौर पर देखा जाता है। इटली के वामपंथी नेता (सेवानिवृत्त) पीरलुगी कास्तागनेती ने ट्वीट किया कि यह 'ट्रंपवाद' का नतीजा है। स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि यह देशद्रोह है।
 
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनका देश अमेरिका में कैपिटल परिसर में हुई हिंसा की घटना से बहुत क्षुब्ध है। कनाडा, अमेरिका का करीबी सहयोगी देश रहा है। संयुक्त राष्ट्र में महासभा के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने कहा कि अमेरिका में हुई घटनाओं से वे दुखी हैं। उन्होंने ट्वीट किया कि मुझे भरोसा है कि शांति कायम होगी। इस अहम समय में लोकतंत्रिक प्रक्रियाएं सम्मानजनक तरीके से बहाल होंगी। (भाषा)

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