डोनाल्ड ट्रंप को मीडिया के विरोध ने जिताया!

बुधवार, 9 नवंबर 2016 (13:30 IST)
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। ट्रंप ने राष्ट्रपति का यह चुनाव तमाम दावों और भविष्यवाणी को गलत साबित करते हुए जीता। ज्यादातर लोगों की धारणा थी कि हिलेरी क्लिंटन इस चुनाव में ट्रंप पर भारी पड़ने वाली हैं। मीडिया में ट्रंप विरोधी कैंपेन इस पैमाने पर चले जैसे कि वे यह चुनाव बड़े अंतर से हारने वाले हैं, लेकिन नतीजा इसके उलट आया।  
 
मौटे तौर पर अमेरिकी मीडिया जैसे सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स ने खुलेआम ट्रंप की दावेदारी का विरोध किया था और अपना समर्थन हिलेरी क्लिंटन को दिया था। हफिंगटन पोस्ट ने शुरुआत में कहा था कि हम ट्रंप के बारे में अपने एंटरटेनमेंट वाले पेज पर ही छापेंगे। ट्रंप को अमेरिकी मीडिया ने जोकर तक कहा। 
 
अब सवाल यह है कि अमेरिका में ऐतिहासिक जीत के बाद ट्रंप जब राष्ट्रपति पद संभालेंगे तो मीडिया हाऊस जिन्होंने ट्रंप का चुनाव में जमकर विरोध किया है, उनका क्या रवैया होगा?
 
ट्रंप का विरोध ही उनकी ताकत बना : चुनाव के पहले अमेरिकियों ने कई सर्वे एवं कैंपेन में माना था कि मीडिया ट्रंप के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। ऐसा शायद इसलिए भी कि ट्रंप गैर राजनीतिक पृष्टभूमि से हैं। मीडिया ने ट्रंप के बारे में नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश की जिसे जनता ने भांप लिया। कुल मिलाकर अमेरिका की जनता को मीडिया का इस तरह ‍एक पक्ष का समर्थन तर्क संगत नहीं लगा और नतीजा हमारे सामने है। 
 
Quinnipiac यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए गए पोल में 55 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हां, मीडिया ट्रंप के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त है, जबकि 47 प्रतिशत ने यह माना था कि ऐसा नहीं है। एक और चौंकाने वाले तथ्य यह भी है कि रिपब्लिकन पार्टी को वोट देने वाले 90 प्रतिशत लोगों ने यह माना कि मीडिया ट्रंप के प्रति ज्यादा ही सख्त है। 
 
अब नतीजे आ चुके हैं, ट्रंप ही राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठेंगे। ऐसे में यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या अमेरिकी चुनाव में मीडिया के इस 'बायस स्टैंड' ने बड़ी भूमिका निभाई? क्या सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे मीडिया हाउस का हिलेरी का खुलेआम समर्थन करने का दांव हिलेरी के लिए ही घातक साबित हुआ?

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