जलवायु परिवर्तन पर अपनी जिम्मेदारी निभाएं विकसित देश : भारत

सोमवार, 26 सितम्बर 2016 (22:39 IST)
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए विकसित देशों से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए अन्य देशों को प्रौद्योगिकी और धन उपलब्ध कराने का आह्वान किया और कहा कि वह इस समस्या से निपटने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाएगा। 
                
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें अधिवेशन में सोमवार को अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन को दुनिया के लिए एक गंभीर चुनौती बताया। उन्होंने प्राकृतिक सम्पदा के असीमित खपत पर रोक लगाने और जीवनशैली को पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर जोर देते हुए कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान, योग सही जीवनशैली का प्रतीक है। 
 
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित पेरिस समझौते में सबकी साझी जिम्मेदारी और सबकी अलग-अलग देनदारी के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि विकसित देश अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए सभी की भलाई के लिए प्रौद्योगिकी भी दें और धनराशि भी। यह कार्यक्रम तभी सफल होगा। 
               
उन्होंने विश्वास दिलाया कि जलवायु परिवर्तन की दिशा में भारत अग्रणी भूमिका निभाएगा और पेरिस समझौते के लिए अपना अनुमोदन ज्ञापन आगामी 2 अक्टूबर को जमा कर देगा। उन्होंने कहा, हमने सोच-समझकर यह तिथि तय की है क्योंकि यह गांधीजी का जन्म दिवस है, जिनका सम्पूर्ण जीवन प्रकृति के संरक्षण के लिए समर्पित रहा। 
 
श्रीमती स्वराज ने कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपने यहां एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिसमें वर्ष 2030 तक 40 प्रतिशत ऊर्जा गैर जीवाश्म ईंधन से बनाने का लक्ष्‍य रखा है। इसके लिए एक निश्चित वातावरण की आवश्यकता होगी, क्योंकि बाहर से पूंजी निवेश करने वाले लोग नीतियों में स्थिरता चाहते हैं। हम इस प्रयास में लगे हुए हैं कि उन्हें यह निश्चितता मिले। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन का गठन भी हमारी एक अभिनव पहल है जिससे सौर तकनीक सभी को उपलब्‍ध हो सके। 
         
विदेश मंत्री ने गरीबी को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि विश्‍व के विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई गरीबी को मिटाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि उन सभी जरूरतमंद लोगों तक समृद्धि पहुंचा सकें। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि स्त्रियों और पुरुषों के बीच लैंगिक समानता हो और महिलाओं को सुरक्षा मिल सके। सभी को मिलकर विश्‍व शांति के लिए कार्य करना है क्‍योंकि‍ शांति के बिना समृद्धि नहीं आ सकती।
 
श्रीमती स्वराज ने कहा कि आप अभिनंदन के पात्र हैं क्‍योंकि इन्‍हीं चुनौतियों के महत्‍व को समझते हुए आपने इस महासभा के लिए सतत् विकास के लक्ष्य  को सबसे उच्‍च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि इन 17 में से अधिकतर लक्ष्यों को भारत सरकार ने अपने राष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल कर लिया है। 
 
श्रीमती स्वराज ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत विद्यालयों में 4 लाख से ऊपर शौचालयों का निर्माण हो चुका है। इसी तरह 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', एक देशव्‍यापी अभियान बन गया है। 'मेक इन इंडिया' का आह्वान हो रहा है। विश्‍व की सबसे बड़ी वित्‍तीय समावेशी योजना 'जन धन योजना' के अंतर्गत 25 करोड़ से ज्‍यादा गरीब लोगों के बैंक खाते खोले गए हैं।
       
श्रीमती स्वराज ने कहा कि डिजिटल इंडिया बहुत तेजी से अपने पैर पसार रहा है। भारतीय युवाओं को कौशल युक्त बनाने के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे हैं, जिनसे हमारे युवा अपनी क्षमताओं का समुचित विकास कर सकेंगे। इन पहलों से भारत की विकास यात्रा में नए आयाम जुड़ सके हैं। उन्होंने कहा कि आज आर्थिक मंदी के दौर में भी भारत विश्‍व की बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बन गया है।
        
विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा भारत में रहता है इसलिए यदि भारत में  सतत् विकास वृद्धि सफल होगी तभी विश्व में यह सफल हो सकेगी। उन्होंने एजेंडा 2030 को लागू करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने तय किया है कि‍ संसद के हर सत्र में एक दिन केवल सतत् विकास वृद्धि पर चर्चा की जाए ताकि उनकी प्रगति पर सतत् निगरानी बनी रहे। इससे बहुत अच्‍छे परिणाम सामने आएंगे।
        
उन्होंने कहा कि इस एजेंडे को सफल बनाने के लिए सभी देश अपने-अपने सामर्थ्‍य के अनुसार तो कार्य कर ही रहे हैं परंतु यह भी जरूरी है कि उन्‍हें अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग भी मिलता रहे। (वार्ता)

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