डोनाल्ड ट्रंप की जीत से मुसलमानों में निराशा

बुधवार, 9 नवंबर 2016 (22:52 IST)
जकार्ता। विश्वभर में मुस्लिम समुदाय के अनेक नेताओं ने अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बुधवार को राष्ट्रपति चुने जाने पर निराशा जताते हुए पश्चिम और इस्लाम के बीच तनाव तथा उग्रवाद के बढ़ने की आशंका जाहिर की है।      
       
एक तरफ जहां मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी ट्रंप को सबसे पहले जीत की शुभकामना देने वालों में शुमार रहे वहीं आम मुसलमानों ने इस जीत को जिहादी समूहों के लिए तोहफा करार देते हुए इस बात पर चिंता जाहिर की कि अब ट्रंप अमेरिका में मुस्लिमों के घुसने पर पाबंदी के अपने चुनावी वादे को अमल में लाएंगे। 
       
इंडोनेशिया का प्रमुख मुस्लिम चेहरा माने-जाने वाले येनी वाहिद ने कहा, ट्रंप ने मुस्लिमों के खिलाफ बहुत उत्तेजक बातों का सहारा लिया और अब मतदाता उनसे वादों को पूरा करने की उम्मीद लगाएंगे। इस वजह से मुझे अमेरिका और पूरे विश्व में मुसलमानों पर इसके होने वाले असर की चिंता हो रही है।  
       
पूरे विश्व में मुस्लिमों की करीब एक अरब 60 करोड़ की आबादी इंडोनेशिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, सेनेगल, अल्बेनिया सहित कई देशों में बहुसंख्यक हैं तथा विभिन्न संप्रदाय, विचार, राजनीतिक विचारधारा को मानते हैं। इसके बावजूद मुस्लिमों के खिलाफ ट्रंप की उग्र बयानबाजी, अमेरिका में बाहरियों के घुसने पर पाबंदी का उनका वादा, इस्लाम विरोधी कार्यकर्ताओं का उन्हें मिलने वाले अतिरेक समर्थन से कई लोगों को खतरा महसूस हो रहा है।       
       
नाइजीरिया की राजधानी लागोस निवासी गानिऊ ओलुकांगा ने कहा, अमेरिका में जो कुछ भी होता है, वह सभी को प्रभावित करता है। ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में अश्वेतों, मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ जिस प्रकार के वादे किए हैं, उससे हम खुश नहीं हैं। वाहिद ने कहा कि ट्रंप का राष्ट्रपति के बतौर निर्वाचन इस विचार को बढ़ावा दे सकता है कि अमेरिका मुसलमानों के प्रति द्वेष रखता है। इससे कट्टरवाद से लड़ने के अमेरिका के प्रयासों में बाधा आएगी।
 
पाकिस्तानी अवाम वर्कर्स पार्टी के सदस्य और शिक्षाविद् अम्मार राशिद ने कहा, ट्रम्प की जीत से कमजोर पड़ते जिहादी आंदोलन को बड़ा तोहफा मिलेगा और वे अब एक नए नारे के साथ उभरेंगे। जिहादी विचारधारा के लिए अब अमेरिका नया चेहरा होगा और इसे मुस्लिम विरोधी घुसपैठिए के तौर पर प्रचारित किया जाएगा। वहीं एक अन्य ने ट्विटर पर लिखा कि ट्रंप की जीत से अमेरिका का असली मुस्लिम विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। उनका नकाब उतर गया है। 
       
वहीं मिस्त्र के राष्ट्रपति सिसी और अफगानिस्तान के पूर्व आंतरिक मंत्री उमेर दाउदजाई ने ट्रंप के प्रति विश्वास जताया। सिसी ने जहां ट्रंप को बधाई दी तो वहीं उमेर ने वर्ष 1981-89 के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के कार्यकाल को याद करते हुए कहा, रोनाल्ड ने शीतयुद्ध को समाप्त किया था। मैं उम्मीद करता हूं कि ट्रंप भी सभी युद्धों को खत्म कर विश्व में शांति के हीरो बनेंगे।     
             
इस्लाम की जन्मस्थली और अमेरिका के मित्र देश सऊदी अरब ने भी ट्रंप को जीत की बधाई दी। इंडोनेशिया उलेमा परिषद (एमयूआई) के वरिष्ठ अधिकारी दिन स्यामसुद्दीन ने कहा, ट्रंप ने मुसलमानों के खिलाफ नकारात्मक और द्वेषपूर्ण टिप्पणी की। वे भूल गए हैं कि अधिकतर अमेरिकी भी अप्रवासी हैं।
        
पाकिस्तान में अमेरिका के पूर्व राजदूत शैरी रहमान ने कहा, मुस्लिमों को अमेरिका में प्रवेश नहीं करने देने संबंधी ट्रंप के बयान से कई लोग अशांत हो गए। ट्रंप के ऐसे बयानों से दोनों देशों के संबंधों पर दीर्घकालिक असर पड़ सकता है।  
        
वहीं बांग्‍लादेश के एक सरकारी अधिकारी ने कहा, मैं नहीं जानता कि भविष्य में क्या होने जा रहा है। ट्रंप ने मुसलमानों के खिलाफ लड़ने की बात कही है। क्या हम और अधिक जंग देखने जा रहे हैं। एक अन्य कर्मचारी आसिफ इकबाल ने कहा, यह अविश्वसनीय है और मैं तनाव में हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में अंतर हो। बतौर राष्ट्रपति उनके अधिक परिपक्व होने की कामना है। (वार्ता)

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