यह है अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया

अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव एक अप्रत्यक्ष प्रक्रिया है जिसमें यूनाइडेट स्टेट्स के पचास राज्यों के नागरिक अथवा वाशिंगटन डीसी के नागरिक यूएस इलेक्टोरल कॉलेज के कुछ सदस्यों के लिए वोट डालते हैं। इन सदस्यों को इलेक्टर्स कहा जाता है। 

ये इलेक्टर्स इसके बाद प्रत्यक्ष वोट डालते हैं जिन्हें इलेक्टोरल वोट कहा जाता है। इनके वोट अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए होते हैं। ऐसे उम्मीदवार जिन्हें इलेक्टोरल वोट्स में बहुमत मिलता है राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाते हैं।
 
अगर कोई भी उम्मीदवार पूरी तरह से बहुमत नहीं जुटा पाते तो, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। वहीं संसद उपराष्ट्रपति चुनती है। 
 
संविधान के अनुसार 
 
इलेक्टोरल कॉलेज और इसकी प्रक्रिया यूएस के संविधान में आर्टिकल 2  के सेक्शन 1 के क्लाज़ 2 और 4 में दी गई है। इसके अलावा बारहवे बदलाव (जिसके द्वारा क्लाज़ 3 को बदला गया था) में भी इस प्रक्रिया का उल्लेख है। 
 
चुनाव का प्रारंभ 
 
चुनाव की प्रक्रिया प्राइमरी इलेक्शन (शुरूआती चुनाव) और कौकसेस के साथ शुरू होती है जो आगे बढकर उम्मीदवारी कंवेंशन की तरफ जाती है जिस दौरान राजनीतिक पार्टियां एक उम्मीदवार चुनती हैं। यह राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार एक उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनता है। ये दोनों  उम्मीदवार सारे देश में चुनावी प्रचार में जुट जाते हैं और अपने विचार रखते हैं। इसके साथ ही अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों के साथ बहस में भी भाग लेते हैं। 
 
जनरल इलेक्शन (आम चुनाव) के दौरान, अमेरिका के नागरिक राष्ट्रपति के लिए अपने वोट देते हैं परंतु आम जनता के द्वारा डाले गए वोट राष्ट्रपति का फैसला नहीं करते बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज के वोट्स के आधार पर राष्ट्रपति चुना जाता है। 
नवंबर में इलेक्शन डे होता है। दिसंबर में चुने हुए इलेक्टर्स इलेक्टोरल कॉलेज के लिए वोट डालते हैं। जनवरी में कांग्रेस इलेक्टोरल वोटों की गिनती करती है। 20 जनवरी को इंऑर्गेरेशन डे होता है। इंऑर्गेरेशन डे से नए राष्ट्रपति का कार्यकाल शुरू होता है। 
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चुनाव की प्रक्रिया 
 
यूएस के राष्ट्रपति चुनाव हर चार साल में होते हैं जिसमें रजिस्टर्ड वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। 1845 से नवबंर के पहले सोमवार के बाद वाले मंगलवार को यह चुनाव कराए जाते हैं। इस दिन को इलेक्शन डे (चुनावी दिन) कहा जाता है। इसी दिन कई सारे फेडरल, स्टेट और लोकल चुनाव भी होते हैं।

हर राज्य का विधानमंडल इलेक्टर्स के चुनाव की प्रक्रिया का निर्धारण कर सकता है। इस तरह, चुनाव के दिन विभिन्न राज्यों में पॉपुलर वोट किया जाता है जिसमें फेडरल (संघीय सरकार) का कोई दखल नहीं होता। 
 
 
राज्यों में इलेक्टर्स के चुनाव की प्रक्रिया  
 
हर राज्यों के इलेक्टर्स के चुनाव एक समझौते का नतीजा है। यह समझौता संविधान निर्माताओं के बीच था जिनमें से कुछ चाहते थे कि कांग्रेस राष्ट्रपति का चुनाव करे और अन्य को नेशनल पॉपुलर वोट सही लगा। 
 
हर राज्य को एक खास संख्या में इलेक्टर्स चुनने की आजादी है। यह संख्या इस राज्य के कांग्रेस के दोनों हाउसों में होने वाली सदस्यों की संख्या के बराबर होती  है। हर राज्य का विधानमंडल अपने इलेक्टर्स चुनने की प्रक्रिया तय करता है। धीरे धीरे, राज्यों में पॉपुलर इलेक्शन होने की प्रक्रिया शुरू हो गई जिसके माध्यम से इलेक्टर्स का चुनाव होता है। इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से भी सारा देश चुनाव का हिस्सा बन जाता है।  
 
इलेक्टर्स द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए वोटिंग 
 
अन्य शब्दों में यह विभिन्न राज्यों में अलग अलग हुए चुनावों का आखिर में सम्मिश्रण है न कि एक राष्ट्रिय चुनाव। एक बार चुने जाने के बाद, इलेक्टर्स किसी के लिए भी वोट डाल सकते हैं।  ऐसा बहुत ही कम होता है कि इलेक्टर्स पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट न दें,  जैसे इलेक्टर ने शपथ न ली हो या जो भरोसे के काबिल न हो। इसके अलावा सभी अपने लिए चुने गए उम्मीदवार के लिए वोट डालते हैं। 
 
उनके वोट कांग्रेस द्वारा जनवरी में सर्टिफाई होते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति पद के लिए जीते गए उम्मीदवार की घोषणा होती है। यह 20 जनवरी को होती है। यह तारीख 21 जनवरी हो जाती है अगर 20 जनवरी रविवार हो। 
 
नामांकन प्रक्रिया 
 
नामांकन की प्रक्रिया का संविधान में कोई उल्लेख नहीं है जिसमें शुरूआती चुनाव प्रक्रिया भी शामिल है। समय के साथ, राज्यों और राजनीतिक पार्टियों  ने एक प्रक्रिया विकसित कर ली। 
 
हर पार्टी का राष्ट्रपति उम्मीदवार एक उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनता है। राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनाव में उम्मीदवारी की सूचना चुनाव के एक साल पहले की सर्दियों के आसपास दे देता है। इसतरह वर्तमान राष्ट्रपति चुनाव की चुनाव प्रक्रिया और कैंपेन करीब दो साल पहले ही शुरू हो जाती है। 
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कार्यकाल 
 
यहां पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व अमेरिकी कांग्रेस का कार्यकाल अलग-अलग होता है : राष्ट्रपति- 4 साल, सीनेटर- 6 साल, अमेरिकी सदन के प्रतिनिधि- 2 साल। जिस वर्ष राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होता हैं (जैसे गत वर्ष 2012 या आगामी 2016), उस वर्ष के चुनाव को सामान्य निर्वाचन (जनरल इलेक्शन) कहा जाता है। जिस वर्ष (मसलन वर्तमान) राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी भाग नहीं लेते हैं, उसे मध्यावधि (मिड टर्म) चुनाव कहते हैं।
 
 
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की योग्यता 
 
यूएस के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को यूएस का नागरिक होना आवश्यक है जिसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक हो। वह कम से कम यूएस में 14 साल रहा हो। कोई भी उम्मीदवार चुनाव की प्रक्रिया के दौरान 35 से कम का हो सकता है परंतु चुनाव के दिन उसे 35 का होना या पूरे 14 वर्ष यूएस में रहना पूरा करना अनिवार्य है। कोई भी उम्मीदवार दो बार राष्ट्रपति बनने के बाद फिर से राष्ट्रपति नहीं बन सकता।  
 
उम्मीदवारी की प्रक्रिया 
 
वर्तमान यूएस प्रेसिडेंट के चुनाव की प्रक्रिया दो हिस्सों में होती है। प्रेसिडेंट का प्रारंभिक चुनाव और हर राज्य में होने वाले चुनाव और हर पार्टी द्वारा राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के लिए किए जाने वाली बैठकें। 
 
प्रारंभिन चुनाव राज्य और लोकल सरकार द्वारा कराए जाते हैं। वहीं पार्टी का राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन पार्टियां करती हैं। बड़ी राजनीतिक पार्टियां अपने प्रेसिडेंट के उम्मीदवार के लिए वोट करती हैं। 
 
 
आगामी चुनाव की तारीख 
 
अगले राष्ट्रपति के चुनाव की तारीख, जो कि 58वां चार वर्षीय यूएस राष्ट्रपति चुनाव भी है, 8 नंवबर 2016 है। 

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