कौन हैं हिना रब्बानी खार, जो बगैर हिजाब तालिबानी नेताओं से मिलीं

Webdunia
बुधवार, 30 नवंबर 2022 (08:52 IST)
काबुल। हिजाब को लेकर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के रवैए में नरमी दिखाई दे रही है। पाकिस्तानी विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार ने मंगलवार को अफगानिस्तान के उपप्रधानमंत्री, कार्यवाहक विदेश मंत्री और अन्य मंत्रियों से मुलाकात की। इस दौरान हिना रब्बानी ने हिजाब नहीं पहना था।
 
हिजाब तो दूर हिना रब्बानी ने मुलाकात के समय सिर पर दुपट्टा भी नहीं पहना था। अफगानिस्तान से आई इस तस्वीर के बाद कहा जा रहा है कि हिजाब को लेकर अफगानिस्तान के रवैए में नरमी आई है। 
 
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में महिलाओं पर सख्त पाबंदियां हैं। यहां लड़कियों के स्कूल और कॉलेज जाने पर पाबंदी है। महिलाएं अकेली बाजार तक नहीं जा सकती है। उनके लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। दुनिया में इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। इसी वजह से तालिबान सरकार को दुनिया के अन्य देशों से मान्यता नहीं मिली है।
 
कौन हैं हिना रब्बानी खार : पाकिस्तान के मुल्तान में 19 नवंबर 1977 को जन्मीं हिना जाट परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता गुलाम नूर रब्बानी खार भी सांसद रहे हैं। उन्होंने लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज से बीएससी इकनॉमिक्स ऑनर्स की पढ़ाई की। इसके बाद एमएससी करने के लिए वह अमेरिका चली गईं। 
 
2002 में हिना रब्बानी खार ने राजनीति की दुनिया में कदम रखा। वह पहली बार मुजफ्फरगढ़ से सांसद चुनी गईं। उन्हें शौकत अजीज की सरकार में इकनॉमिक अफेयर्स मामलों का राज्यमंत्री बनाया गया। 2008 में वह मुस्लिम लीग छोड़कर पीपीपी से जुड़ गई। 2008 में चुनाव जीतकर सांसद बनी हिना को केंद्रीय वित्त और उद्योग विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। अप्रैल 2022 में जब शाहबाज शरीफ सरकार सत्ता में आई तो हिना को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया। विदेश मंत्रालय फिलहाल बिलावल भुट्टो जरदारी के पास है।
 
बिलावल से प्यार : 2012 में आसिफ अली जरदारी और पाकिस्तान की मरहूम प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी 2 बच्चों की मां हिना रब्बानी खार के इश्क में कैद हो गए थे।
 
मीडिया खबरों में दावा किया गया था कि बिलावल न सिर्फ पाकिस्तान की पहली महिला विदेश मंत्री हिना की खूबसूरती पर इस कदर लट्‍टू हो गए थे कि उनसे निकाह करने के बारे में भी सोचने लगे थे। कहा गया था कि ‍इसके लिए हिना रब्बानी ने भी रजामंदी दे दी थी।
 
हालांकि जरदारी को अपने बेटे की यह हरकत पसंद नहीं आई। उनका मानना था कि इससे बिलावल के राजनीतिक करियर और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के भविष्य पर बुरा असर पड़ेगा। 

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