विश्व ध्यान दिवस पर श्रीश्री रविशंकर ने दुनिया को दिया बड़ा मंत्र, UN के मंच पर भारत ने रचा इतिहास

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 21 दिसंबर 2024 (19:53 IST)
World Meditation Day  Sri Sri Ravi Shankar United Nations :  विश्व ध्यान दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र में भारत ने एक बार फिर डंका बजाया है।  अध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से दुनिया को ध्यान का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि ध्यान आज पूरी दुनिया की आवश्यकता बन गया है। यह वह मंत्र है, जो सभी धर्मों, जातियों और संप्रदायों से परे है और सबसे ऊपर उठ कर है। यह सभी के लिए जरूरी है। ध्यान जीवन में ही नहीं, बल्कि विश्व में शांति लाता है और विश्व कल्याण की भावना जगाता है। 
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Glimpses from today’s World Meditation Day event at the @UN headquarters. pic.twitter.com/d1iAFLwnBN

— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@Gurudev) December 21, 2024 >
प्रमुख आध्यात्मिक एवं संयुक्त राष्ट्र नेताओं ने यहां प्रथम ‘विश्व ध्यान दिवस’ के अवसर पर कहा कि ध्यान सभी धर्मों एवं सीमाओं से परे है और बढ़ते संघर्षों एवं गहरे अविश्वास से भरे वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में कूटनीति का एक शक्तिशाली साधन भी है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने शुक्रवार को वैश्विक निकाय के मुख्यालय में प्रथम विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष्य में ‘वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए ध्यान’ नामक एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।

आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में कहा कि आज ध्यान कोई विलासिता नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र के राजदूत, अधिकारी, कर्मचारी, नागरिक संस्थाओं के सदस्य और भारतीय-अमेरिकी प्रवासी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
131 साल बाद स्वामी विवेकानंद के बाद श्रीश्री रविशंकर  
131 साल पहले शिकागो की धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के भाषण के बाद यह दूसरा ऐसा अंतरराष्ट्रीय मंच था, जहां भारत के अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर दुनिया को ध्यान का मंत्र दे रहे थे और पूरा विश्व ध्यान लगाकर उस मंत्र को सुन रहा था। यह भारत के लिए बेहद ऐतिहासिक पल था। विश्व ध्यान दिवस की शुरुआत भी पीएम मोदी की एक बेजोड़ पहल का शानदार नतीजा है। संयुक्त राष्ट्र ने माना है कि पीएम मोदी और भारत की पहल पर ही दुनिया के 193 देशों ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में स्वीकार कर लिया है।