पाक के परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करेगा अमेरिका
सोमवार, 18 जनवरी 2010 (00:15 IST)
पाकिस्तान में संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों के बाद सतर्क हुआ अमेरिका इस्लामी राष्ट्र के परमाणु हथियारों की अचूक सुरक्षा और उनके आतंकवादियों के हाथ न पड़ने की बात सुनिश्चित कराने के लिए अपने विशिष्ट बलों की एक इकाई तैयार कर रहा है।
‘द संडे टाइम्स’ ने खबर दी कि अमेरिकी सेना एक विशिष्ट इकाई प्रशिक्षित कर रही है ताकि वह पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की अचूक सुरक्षा सुनिश्चित कर सके और संभवत: देश के अंदरूनी सुरक्षा तंत्र में आतंकवादियों के सेंध लगाने की स्थिति में हथियार या परमाणु उपकरण या ऐसी कोई सामग्री वापस अपने नियंत्रण में ले सके।
अखबार ने खबर दी कि विशिष्ट इकाई के पास परमाणु सामग्री को अपने नियंत्रण में लेने और उसकी सुरक्षा करने का जिम्मा होगा।
अखबार के मुताबिक बीते दो वर्ष में संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों पर सिलसिलेवार हमलों के बाद ये कदम उठाया गया है क्योंकि इनमें से कई प्रतिष्ठानों में परमाणु सुविधाएँ मौजूद हैं। बीते पखवाड़े अमेरिकी प्रशासन के पाकिस्तान के समक्ष कई आधिकारिक शिकायतें दर्ज कराने के बाद इस मुद्दे पर तनाव भी बढ़ा है
सीआईए के एक पूर्व अधिकारी रॉल्फ मॉरवेट लार्सन के हवाले से खबर में कहा गया कि पाकिस्तान में परमाणु हथियार दुनिया के चरमपंथियों के अत्यधिक सघनता वाले क्षेत्र में हैं। लिहाजा हमें चिंतित होने का अधिकार है।
अमेरिकी उर्जा विभाग की खुफिया इकाई के प्रभारी रहे लार्सन ने कहा कि ऐसे सैन्य अड्डों पर हमले हुए हैं, जिनमें परमाणु हथियार संग्रहित हैं और सैन्य सुविधाओं में आतंकवादियों की ओर से घुसपैठ की गई है तथा वहाँ की सुरक्षा तोड़ी गई है।
माना जाता है कि पाकिस्तान के पास 80 परमाणु हथियार हैं। हालाँकि, ये हथियार अत्यधिक सुरक्षा में हैं लेकिन यूरेनियम संवर्धन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री के गलत लोगों के हाथों में पड़ जाने की आशंका भी है।
लार्सन ने कहा कि बस यही होना बाकी है कि पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठान के भीतर और परमाणु हथियारों तक अहम पहुँच रखने वाला कोई व्यक्ति चरमपंथी बन जाए। उन्होंने कहा कि यह महज काल्पनिक नहीं है। ऐसा हुआ है। पाकिस्तान के समक्ष पहले भी अंदरूनी समस्याएँ रही हैं।
ब्रेडफोर्ड विश्वविद्यालय में पाकिस्तान की सुरक्षा शोध इकाई के निदेशक प्रोफेसर शॉन ग्रेगरी ने कहा कि पाकिस्तान में आपके पास 8,000 से 12,000 लोग हैं, जिनकी परमाणु मिसाइलों के मामले में किसी न किसी तरह की भूमिका है। वे या तो मिसाइलें बनाने के दल में या उनकी सुरक्षा में हैं। उन्होंने चेताया कि आतंकवादी दरवाजे पर खड़े हैं। (भाषा)