नेपाल में राजनीतिक प्रक्रिया में भारत की भूमिका पर ‘गंभीर संदेह’ जताते हुए माओवादी नेता प्रचंड ने कहा है कि भारत 2008 के ऐतिहासिक चुनाव के ‘निर्णय को थामने’ में नाकाम रहा। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने की इच्छा जताई।
हाल ही में भारत पर निशाना साधने वाले पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि ‘सकारात्मक माहौल’ बनाने के लिए इस तरह के उच्चस्तरीय भारतीय नेतृत्व के साथ चर्चा करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि भारत चुनावों के नतीजे को थामने में और लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में नाकाम रहा और वह ‘यथास्थिति’ चाहता है जिसमें कि पुराने राजनीतिक दल सरकार चलाएँगे।
यूनिफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) के 56 वर्षीय अध्यक्ष प्रचंड ने कहा कि भारतीय व्यवस्था में ऐसे तबके हैं कि जो बदलाव की गतिशीलताओं को नहीं समझना चाहते, जो कि नेपाल में 2008 के चुनावों के जरिये लाया गया।
प्रचंड ने यहाँ एक साक्षात्कार में कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि भारत में सभी माओवादियों के खिलाफ हैं, लेकिन नौकरशाहों में या (खुफिया) एजेंसियों में और राजनीतिक नेतृत्व में यह धारणा हो सकती है। कुछ लोग हो सकते हैं जो बदलाव की गतिशीलता को नहीं समझना चाहते।
उन्होंने कहा कि जब माओवादी और राजनीतिक दल 12 सूत्री सहमति पर पहुँचे और संविधान सभा के चुनाव हुए थे तो भारत ने सकारात्मक भूमिका अदा की थी।
प्रचंड ने कहा कि लेकिन चुनाव के परिणाम आने के बाद मैं बेहद चिंतित हूँ, मुझे इस बात को लेकर गंभीर संदेह और संशय है कि शांति प्रक्रिया और संविधान की रूपरेखा तैयार करने में समर्थन के लिए सकारात्मक भूमिका जारी नहीं रही।
उन्होंने दलील दी कि भारत का सकारात्मक रवैया इसलिए जारी नहीं रहा क्योंकि उसने यह स्वीकार नहीं किया कि माओवादी चुनावों में सबसे बड़े दल के तौर पर उभरे हैं।
प्रचंड ने कहा, ‘हम अपनी चिंताओं को लेकर उच्चस्तरीय राजनीतिक वार्ता करना चाहते हैं, जो सकारात्मक माहौल बनाएगा।’ उन्होंने कहा कि इसका आशय है कि भारतीय प्रधानमंत्री से बातचीत करना।
उन्होंने कहा कि उन्हें मनमोहन सिंह के नेतृत्व को लेकर कोई संशय नहीं है। उनके मुताबिक, ‘क्योंकि मैं प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी भारत यात्रा के दौरान दो बार उनसे मिला और हमने बहुत अच्छी चर्चा की।’
उनका कहना था, ‘लेकिन बाद में हमारे रिश्तों में उतार चढ़ाव और मोड़ आए। हम चिंताओं को व्यक्त करने के लिए और संदेहों को दूर करने के लिहाज से उच्चस्तरीय राजनीतिक चर्चा करना चाहते हैं।’ भारतीय प्रधानमंत्री से मिलने की इच्छा के सवाल पर उन्होंने सकारात्मक अंदाज में जवाब दिया लेकिन कहा कि समय के साथ-साथ इस बारे में और फैसला भारत सरकार को करना है। (भाषा)