पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय जबरन धर्मांतरण किए जाने से परेशान है और उन्होंने अपने मामले में न्यायिक व्यवस्था की आलोचना करते हुए उसके ‘अन्याय का माध्यम’ बन जाने की बात कही है।
तीन हिन्दू महिलाओं को कथित तौर पर जबरन धर्मांतरित करने और मुस्लिमों से शादी करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है।
इस हफ्ते की शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अगुवाई में पीठ ने महिलाओं को कहा था कि उन्हें अपना भविष्य खुद तय करना चाहिए, जिसके बाद महिलाओं ने अपने पति के साथ जाने का विकल्प चुना।
कैथोलिक नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस के प्रतिनिधि इमानुएल युसूफ और पीटर जैकब ने बलात धर्मांतरण के मुद्दे को व्यापक नजरिए से देखे जाने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने न्याय और मानवाधिकार को बनाए रखने के लिए सरकार से कड़ा रुख अपनाने की मांग की। (भाषा)